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भारतीयता के डी.एन.ए. पर राष्ट्रवादी चिंतन

डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदी
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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भारतीय डी.एन.ए. आज चर्चा का विषय बना हुआ है। संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के अनुसार सभी भारतीयों का डी.एन.ए. एक है,चाहें वो किसी मत के मानने वाले हों। स्वयं के भीतर बाबर का डी.एन.ए. मानने वालों को यह बात कितनी पचेगी यह तो समय ही बतायेगा। भारत ने सदा सभी को अपनाया है,संघ प्रमुख का वक्तव्य भी यही दर्शाता है। यह भी कटु सत्य है कि ‘सभी को ऐसे ही अपना लेने का दुष्परिणाम भी भारत ने भुगता है’, लेकिन सनातन की मान्यताओं के आधार पर जैसे-सभी नदियाँ अंत में समुद्र में मिलती हैं,वैसे ही सभी मतों संप्रदायों का गन्तव्य भी सनातन ही है। भारत और भारतीयता इसी विचार के पक्षधर कहे जा सकते हैं। अनंत काल से विभिन्न मतों,जीवन-शैलियों एवं संप्रदायों में सामंजस्य स्थापित करते हुए भारत अपने विश्व गुरु स्वरूप को दर्शाता आया है। संघ प्रमुख डॉ. भागवत ने बड़ी ही सामान्य बात कही है। यह बात वामपंथी मतानुयायियों को कितनी पचती है,इसकी भी समय रहते ही विवेचना करनी चाहिए।आगे आने वाले १-२ दिनों में इस विषय पर )पीड़ित प्रत्युत्तर में वामपंथी लेखों को पढ़ा जा सकता है।भारतीयता का भाव जगाने से ही राष्ट्रीय एकता एवं बंधुत्व के लक्ष्य को साधा जा सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज की भाषा बोलता है। अर्थात् ऐसा कहें कि जो समाज बोलता है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विचार भी वही होता है,तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। समाज के विचार से इतर विचार संघ परिवार का नहीं हैं। संघ ने भारतीय समाज को एकजुट करने का संकल्प लिया है। पूजा विधि अलग होने से हमारी भारतीयता अलग-थलग नहीं हो सकती है। शायद यही तथ्य हैं जिनके आधार पर डॉ. भागवत सभी भारतीयों के एक डी.एन.ए. होने की वकालत करते हैं। सामाजिक संचार माध्यमों पर डॉ. भागवत का यह कथन द्रुत गति से प्रचारित-प्रसारित हुआ है।
इस कथन में सकारात्मकता कूट-कूट कर भरी है। यह कथन भटके हुए भारतीय डी.एन.ए. का पथ प्रशस्त कर उसे और सशक्त बनाएगा। डी.एन.ए. की एकरूपता राष्ट्र प्रेम और बंधुत्व का भाव जगाने में सहायक सिद्ध होगी। यह भाव राष्ट्रभाव को जगाने एवं राष्ट्रवादी विचारों को अपनाने में मील का पत्थर सिद्ध होगा। सभी भारतीयों का डी.एन.ए. जो एक-सा है,इस भारतीय समाज की अस्मिता की रक्षा करे,यही मंगलकामना।

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