कुल पृष्ठ दर्शन : 211

You are currently viewing भाल की हुंकार

भाल की हुंकार

मोनिका शर्मा
मुंबई(महाराष्ट्र)
*********************************

आज वक़्त ले विराम खड़ा,
कलम की स्याही क्यों मौन धरी ?
अम्बर नीलम सुशोभित वही,
फिर क्यूँ पवन भीरु सी बने ?

क्यों नतमस्तक खड़े हैं शस्त्र,
प्रताप-विभव से जो संचित है ?
क्यों अमर तिरंगा अपनी ही,
विजय के मंज़र से वंचित है ?

इस प्रदेशी माटी की विडंबना,
भुजाओं को ललकार रही
भारत का अंबुज खिल उठा,
रंजीत-सी एक हुंकार उठी
हर कदम में चेतक वेग-सा,
आज भी राणा-रक्त उबाल रहा
इन्द्रधनुषी वक्र पवन चीरता,
नीरज का भाल गिरा।

अमर तिरंगा लहरा उठा-
प्रतिकार प्रहार बैरी माटी पर,
स्वर्णिम इतिहास रच दिया,
भारत ने जापानी माटी पर।

इतिहास तू पन्नों में अपने,
नमन दे इस युगावतार को
कलम तू ललकार लिख,
आवाज़ दे इस हुंकार को
तन में उमंग हिलोर जो उठा दे,
क्षण शोर
घोर चेतना युवा की जगा दे।

दिनकर की ललकार,
तुलसी का संस्कार हो
कवि भूषण का ओज गुण,
नीरज का आकार हो
विजय की गूंज उठे,
वसुंधरा गुंजायमान हो
विजय तिलक से श्रृंगारित।
स्वर्णिम भारत का इतिहास हो,
अम्बर से भी ऊंचा ये जहां हो॥

परिचय-मोनिका शर्मा की जन्म तिथि १४ मई २००४ तथा जन्म स्थान राजस्थान हैL इनका निवास नवी मुंबई में हैL यह फिलहाल नवी मुंबई स्थित विद्यालय में अध्ययनरत है। उपलब्धि औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटसाल खेल में प्रथम स्थान और हिंदी भाषण प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर आना है। हिंदी-अंग्रेजी में कविता,कहानी और निबंध लिखने की शौकीन सुश्री शर्मा की मुख्य रुचि लेखन ही है।

Leave a Reply