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महापर्व है रक्षा-बंधन

संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
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स्नेह के धागे…

कच्चे धागे में गहरे विश्वास का परम अटूट यह बंधन,
कच्ची उम्र से लड़ते-खेलते- सीखते परम विश्वास का बंधन
परिपक्व भाई-बहन की चिंता और आत्म-विश्वास का बंधन,
रिश्तों की अटूट आस और विश्वास का बंधन।

आपस की चिंता और चिंतन खास का बंधन,
निःस्वार्थ, परमार्थ और अनेकार्थ का बंधन
अहम्, वहम, घमंड से उपर सिर्फ खुशी और मुस्कान का बंधन,
जड़ता-जड़, ममता-स्नेह आपस के सम्मान का बंधन।

बहन-भाई के हर दु:ख-दर्द, आहत-राहत, टकराते हर तूफान का बंधन,
शंका-आशंका, भय, अनुसंधान और समाधान का बंधन
सारे दु:ख को हँसते-खेलते निकालते हर व्यवधान का बंधन,
यह बंधन तो उप-बंधन है, भाई- बहन के अमर प्रेम का स्व-प्रेरित अनुबंधन।

दिन यह याद कराता हमको नहीं भुलाना रक्षा-बंधन,
अर्थ निकालो इस बंधन का, और जरूरी क्यों यह बंधन ?
प्राचीन से, आधुनिक होकर, पाश्चात्य तक जीवित है यह बंधन,
लेकिन दायरा सिमट रहा है जोड़ो और निबंधन।

अब तक की घटना से सीखो, फोड़ दो आँखें उन जाहिल की, जिनके कारण बहन के अश्रु आँखें-आबरू करती चीख चीख कर क्रंदन।
भारत की बेटियाँ हैं सबकी बहना, भाई कलाई पर शोभित दिखता स्नेहयुक्त यह बंधन,
कोरा धागा न समझो यह वर्षों के त्याग, समर्पण, स्नेह-प्रेम का महापर्व है सबका रक्षाबंधन॥

परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएससी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता, रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुंबई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़ें हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में आपको
महात्मा बुद्ध सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२० २३ सहित अन्य सम्मान हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले संजय सिंह ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज- पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”