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महाप्रयाण

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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सुरों की अमर ‘लता’ विशेष-श्रद्धांजलि…

कोकिली कंठी गायिका,छोड़ गई,हम मौन।
ऐसा स्वर अब है कहाँ,रस छलकाए कौन॥

नाम लता था,जान लें,जो थीं इक उपहार।
सदियों में पाता कभी,वर ऐसा संसार॥

मातु शारदे रूप थीं,वीणा का अवतार।
ताल,वाद्य सब उर बसे,हर लय थी साकार॥

बनकर भारत की रतन,बनीं सदा सिरमौर।
गूँजी स्वरलहरी सतत,कोई भी हो दौर॥

उनके सुर से नित सजे,भारत के चलचित्र।
गीत बन गए ख़ास अति,बने सभी के मित्र॥

हर दिल पर करती रहीं,दीदी जी तो राज।
युग-युग गूँजेगी ‘शरद’,उनकी मधु आवाज़॥

अंधकार अब शेष है,चला गया आलोक।
नहीं रहीं दीदी लता,बिखरा है अब शोक।॥

युग मानो अब मूक है,गूँगा,बिन आवाज़।
वह हस्ती अब जा चुकी,था जिस पर तो नाज़॥

ऐसी वाणी,सौम्यता,अब नहिं कोई और।
जिसमें कोयल कूकती,चला गया वह दौर॥

श्रद्धामय प्रस्तुत नमन,भाव भरे हैं फूल।
अब बस वीराना बचा,चुभें विरह के शूल॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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