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माँ का आँचल

स्मृति श्रीवास्तव
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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कल्पना की सुबह-सुबह ही नींद लगी थी। सुबह ४ बजे तक तो वह घड़ी ही देख रही थी। क्या करती,पति के व्यापार में हुए घाटे के कारण उनका स्वास्थ्य गड़बड़ा गया था और रातभर से चिंता में कल्पना जाग रही थी।
बस अभी अभी नींद ने कल्पना को आगोश में लिया ही था कि,कल्पना हड़बड़ा कर उठ गई। आँख मलते‌ हुए उसने चारों तरफ देखा,पर आस- पास कोई नहीं था,पर माँ ने उसे सहलाया है…यह एहसास उसे अभी भी हो रहा था।
कल्पना उस एहसास को पूरे शरीर में महसूस करते हुए बुदबुदा रही थी। मानो माँ से ही बात कर रही हो,माँ कितने साल हो गए,तुम्हें गए हुए पर आज भी जब मैं परेशान होती हूँ तो तुम्हारी गोद याद आती है। तुम्हारी गोद में सिर रखकर जी हल्का करना और तुम्हारा चुपचाप मेरे बालों में उंगली घुमाना बहुत याद आता है। मैं खुद अब विवाह योग्य बच्चों की माँ हूँ,पर तेरे लहराते आँचल में खुद को छुपाना बहुत याद आता है। तू न सही,तेरी याद ही सही तेरा सपनों में आना मन को बहुत भाता है माँ।

परिचय : स्मृति श्रीवास्तव का जन्म १ नवम्बर १९७३ को कोलारस (जिला- शिवपुरी) में हुआ है। वर्तमान निवास स्थान इन्दौर में है। शिक्षा एम.ए. (इतिहास) है,जबकि पेशा परामर्श एवं लेखन है। गतिविधि के रूप में ५ साल से इंदौर लेखिका संघ और कई साहित्यिक समूह से जुड़ी हुई हैं।
राष्ट्रीय कहानी संग्रह,लघु कथा कहानी संग्रह,साझा काव्य संग्रह के अलावा पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ छप चुकी हैं।

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