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माँ की प्रतीक्षा…

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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माँ तुम कहां हो!
जानती हूँ तुम नहीं हो,
फिर भी मेरे
ज़हन में बसती हो,
माँ कहां हो!
हर पल तुम्हारी,
प्रतीक्षा रहती है…।

आओ ना माँ,
मेरी हर गलती
भुलाने वाली ,
मुझे सीने से लगाने
वाली माँ,
तेरी हमेशा
प्रतीक्षा रहती है…।

बहुत अकेली हूँ माँ,
बहुत दिनों से
तुमसे बातें नहीं की,
आओ तुम्हें हर बात
बताना चाहती हूँ,
आओ ना,प्रतीक्षा…।

ऐसी कई बात,
दिल में छुपाकर
रखी है,
तेरे सिवा
उसे कोई नहीं समझ
सकता,
माँ,आओ ना…
काश! सपने में ही…
तुम्हें छूना चाहती हूँ,
आओ ना इस बेटी,
के लिए
माँ आओ ना,
प्रतीक्षा है तुम्हारी…।

सुबह आँख
खुलते ही माँ बोलूं,
पर दिखती नहीं हो
वैसे तुम्हारा आशीर्वाद,
आज भी मुझे,
सहारा देता है
फिर भी माँ एक बार,
आओ ना
प्रतीक्षा है तुम्हारी…
प्रतीक्षा है तुम्हारी माँ…॥

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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