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माता के नौ रुप

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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नवरात्र विशेष….

जग-जननी के नौ हैं रूप,
कहीं छाँव तो कहीं हैं धूप।

पर्वत राज
हिमालय की पुत्री,
वर्षभ पर आरूढ़
शैलपुत्री नाम है इनका,
स्वास्थ्य दात्री स्वरूप
जग जननी के नौ हैं रूप,
कहीं छाँव तो कहीं हैं धूप।

बांये हाथ कमंडल
दांये हाथ जप माल,
ब्रह्मचारिणी नाम है इनका
जयोतिमर्य है स्वरूप,
जग जननी के नौ हैं रूप
कहीं छाँव तो कहीं हैं धूप।

अर्ध चन्द्र मष्तक धरे
घण्टे का आकार,
चन्द्रघण्टा नाम है इनका
कल्याणकारी है स्वरूप
जग जननी के नौ हैं रूप,
कहीं छाँव तो कहीं हैं धूप।

हल्की हँसी से करे
उत्पन्न सारा ब्रह्मांड,
कूष्मांडा है नाम इनका
सुख स्मृद्धि स्वरूप,
जगत माता के नौ हैं रूप
कहीं छाँव तो कही हैं धूप।

स्कंद कार्तिकेय की
माता कहलाती,
स्कंदमाता है नाम इनका
मोक्षदायिनी है स्वरूप,
जग जननी के नौ हैं रूप
कहीं छाँव तो कहीं हैं धूप।

महृर्षि कात्यान की
तपस्या से उत्पन्न पुत्री,
कात्यानी है नाम इनका
अमोध फलदायनी स्वरुप,
जग जननी के नौ हैं रूप
कहीं छाँव तो कहीं हैं धूप।

रूप भयानक धारणकर्ता
सिंह सवारी करती,
कालरात्रि है नाम इनका
दुष्टों का विनाश स्वरूप,
जग जननी के नौ हैं रूप
कहीं छाँव तो कहीं हैं धूप।

श्वेत वस्त्र धारिणी
सर्व लोक हितकारी,
महागौरी है नाम है इनका
शिव शक्ति का स्वरूप,
जग जननी के नौ हैं रूप
कहीं छाँव तो कहीं हैं धूप।

चार भुजा धारी
सर्व हित कल्याणकारी,
सिद्धि दात्री नाम है इनका
आठ सिद्धियां स्वरूप।
जग-जननी के नौ हैं रूप,
कहीं छाँव तो कहीं हैं धूप॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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