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मिटाया वतन का क्रंदन

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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रक्षा का उसे मैं बाँधूंगी बंधन,
जिसने मिटाया वतन का क्रंदन।

कश्मीर में भी देश का चलेगा सदन,
तिरंगे में नहीं लौटेगा जवान का बदन।

नहीं अब कोई पत्थर मारेगा,
नहीं अब दो झंडों में देश को बाँटेगा।

३७० का अब अंत हुआ है,
देश एकता का संत हुआ है।

देश में एकता का झंडा फहराया है,
और जन-गण का सुर लहराया है।

दर्द है आज नहीं साथ मेरा भाई,
पर खुशी है,भर गई अलगाव की खाई॥

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैl आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैl आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैl आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैl अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंl

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