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मित्रवत मित्रता

सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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असीम सीमाओं से,
बंधी है रिश्तों की डोर
कुछ रिश्ते अटपटे,
और कुछ खट्टे-मीठे
फिर भी रिश्ते निभते हैं।

दूर के रिश्ते यदा-कदा,
जा मिल जुड़ते बीच
चौराहों पर जैसे-तैसे,
पुराने रिश्ते भागते दूर
नए रिश्ते नई रीति-रिवाजों में
फँस घर-परिवार बीच,
बनाते दीवार बवंडरों से
जुड़े लोभ-मोह की ईंटों में,
अलीशान रिश्ते अपनाते हैं।

कहते मजबूरी में वृद्ध प्राण,
फैशन की दुनिया है
बच्चे बेहाल मात-पिता छोड़,
जाते विदेश हनी-मून मनाने
और उच्च शिक्षा से,
पदस्थ निभाने दुनियां के
रंगरलियों में तेज खाने की,
महफ़िल सजे मेट्रो होटलों में
जिंदगी की खिली कलियाँ,
यूँ ही मुरझाने बेबाक होती
डिजिटल अंतरजाल की दुनिया,
सजाने‌ में अनोखी अदाओं से
हम आप क्यों जलते हैं।

आज आप हम क्यों हो रहे परेशान ?
अपनी जिंदगी जीना,
खुशी का नया नाप-माप-तौल से
जो मिला वही प्रेम समान,
रिश्ते पनपें या ना पनपें
अपनी साख जमी हो,
सातवें आसमान पे मित्रों का
साथ ही भला जो,
जोखिम वक्त में साथ मिले
निश्चित ही निर्मोही इरादों से।
जो होते हों सच्चे मित्र-बंधु,
वही मित्रवत मित्रता निभाते हैं॥

परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।

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