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मेरी भगवान

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष ……..

आज नीरा अपनी बालकनी में बैठी-बैठी अपने विद्यालय के दिन याद कर रही थी,क्योंकि आज उसकी बहुत पुरानी सहेली प्रीति का फोन आया जो उसे अपने बचपन में ले गया। यह उन दिनों की बात है,जब मासूमियत से भरे बचपन के दिन,गाँव की कच्ची सड़कें और बेपरवाह जीवन हुआ करता था।
उन स्मृतियों की याद में आज एक चेहरा आँखों मे आ गया और मन भाव विभोर हो उठा।
अचानक नीरा को अपनी शाला के समय लिखी गई डायरी याद आई। वह उठी और कुछ खोजने लगी- इसी में तो रखा तो वो कहाँ चला गया ?
‘क्या ढूंढ रही हो माँ ?’-बेटे ने पूछा।
‘कुछ नहीं,इस डायरी में एक कार्ड रखा था।पता नहीं,कहाँ चला गया!’ नीरा तेजी से डायरी के पन्ने पलटने लगी..अचानक वो कार्ड उसे मिला,जिस पर लिखा था-डॉ. सावित्री सक्सेना प्रचार्य शासकीय उच्चतर मा.विद्यालय…।
नीरा ने बड़े स्नेह से उस कार्ड पर हाथ फेरा, कार्ड को सिर से लगाया और वापस डायरी में रख दिया।
‘माँ,यह कौन है ? किसका कार्ड है जिसे आपने इतने सम्भाल कर रखा है।’
‘बेटा यह मेरी भगवान है,जिसने एक ५ वर्ष की गरीब लड़की को उस झोपड़ी से उठा अपनी अगुंली थमाकर विद्यालय का रास्ता दिखाया था व उस बच्ची को एक कार्ड थमाते हुए बोली-इसे अपने पास हमेशा सम्भाल कर रखना। आज से तुम इस विद्यालय में पढ़ोगी। वह छोटी-सी बच्ची आज डॉ. नीरा के नाम से जानी जाती है। उसकी एक पहचान है,यह पहचान उसे उसकी मैडम डॉ. सक्सेना ने दी थी,जो अब नहीं रही।’
आज प्रीति से पता चला कि,’कोरोना’ महामारी के चलते डॉ. सक्सेना का निधन हो गया। वह अमेरिका में अपने बेटे के पास थी। नीरा की आँखें झलक पड़ी। हाथ आसमान की तरफ उठाते हुए उनके लिए दुआ करने लगी,बोली-अगले जन्म में भी वो मुझे मेरे शिक्षक के रूप में मिले।

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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