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दिखलाते हैं ज्ञान की राह

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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गुरु पूर्णिमा विशेष……….

आओ मित्रों सभी मिल के,करें श्री गुरु की बन्दना,
देते रहिए आशीष गुरुदेव करती हूँ पूजा-अर्चना।

आज बहुत पावन पुण्य दिन है गुरुदेव हमारे पधारे हैं,
धरा के सब मानवजन को ज्ञान-विज्ञान दे के संवारे हैं।

कोटि नमन,शत-शत नमन,परम पूज्य गुरुदेव हमारे,
मुक्ति का मार्ग बताकर के अन्तिम क्षण में बने सहारे।

हे परम पूज्य गुरुदेव आप तो श्री पिता तुल्य हैं हमारे,
आप मेरी नैया भवसागर से पार कर लगाएंगे किनारे।

हम भारतवासी,एकमात्र विश्व गुरु कहलाते हैं,
धर्म पथ से हट जाए,उसे ज्ञान की राह दिखलाते हैं।

आओ सब मिल के गुण गाएं,भारत भव्य है देश हमारा,
सबसे सुन्दर सबसे प्यारा,भारत विश्व गुरु है हमारा।

मित्रों,गुरु पर्व मनाना है गुरु का पावन पुण्य है दिन,
गुरुदेव के चरण रज से,ज्ञान सुख से बीतता है दिन।

सभी भाई-बहन मिलकर आज गुरु पर्व मनाते हैं,
पान फुल नावेद चढ़ा के,खीर का प्रसाद खाते हैं॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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