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मोहब्बत और जन्नत

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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जो मोहब्बत को दूर से देखता है,
उसे ये बहुत अच्छी लगती है
और जो मोहब्बत करता है,
उसे ये जन्नत लगती है।

जिंदगी का सफर,
यूँ ही कट जाएगा
जीवन का उतार-चढ़ाव भी,
पुरुषार्थ से निकल जाएगा
पढ़ना है यदि खुद को तो,
दर्पण के सामने खड़े होना
और स्वयं की मंजिल को,
अपने अंदर बार-बार देखना।

आज के दौर में सबको,
राम-श्याम चाहिए
पर खुद सीता,राधा और
मीरा बनने को तैयार नहीं,
वाह री दुनिया और लोग
कुर्बानी सामने वाले से चाहिए
और यश-आराम खुद को,
बिना परिश्रम के चाहिए।

मेरी दिल की पीड़ा को,
कभी पढ़ कर देखो
दिल की गहराईयों में,
तुम उतर कर देखो
तुम्हें प्यार की जन्नत,
और बिछी हुई चाँदनी
हरे-भरे बाग में खिले हुए,
गुलाब नजर आएंगे।

किसी दिल वाले से,
दिल लगा कर देखो
अपनी भावनाओं को,
उसे बताकर तुम देखो
वो प्यार के सागर में,
तुम्हें वो डुबो देगा
और एक कमल तुम्हारे,
दिल में खिला देगा
तब तुम्हें उसकी और अपनी,
मोहब्बत का एहसास होगा।

कभी खुद में सीता का,
रूप तुम देखोगी तो
तुम्हें अंदर से राम ही,
राम नजर आएंगें।
और मोहब्बत के दीप,
तुम्हारे दिल में जल जाएंगे!

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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