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यह गीत संग्रह समसामयिक मनोभावों का मोहक स्तवन

लोकार्पण….

मुजफ्फरपुर (बिहार)।

अप्रतिम शब्द साधक डॉ. संजय पंकज साहित्य के क्षेत्र में एक जाना सुना नाम है। इनके गीत विमुग्ध करते हैं, इनकी कविताएं नए विचारों का पल्लवन करती हैं। यह ताजा गीत संग्रह कबीरा की लोक चेतना से संपन्न समसामयिक मनोभावों का मोहक स्तवन है।
यह बात कही अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. महेंद्र मधुकर ने, और अवसर रहा बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में चर्चित कवि-गीतकार डॉ. संजय पंकज के नवगीत संग्रह ‘बजे शून्य में अनहद बाजा’ के लोकार्पण समारोह का। विषय प्रस्तावना और स्वागत संबोधन में विभागाध्यक्ष डॉ. सतीश राय ने कहा कि, संवेदना की गहराई और बिंबधर्मी भाषा के सार्थक संयोग से इनके गीतों में वह शक्ति आ गई है जो किसी को भी सम्मोहित कर सकती है।
डॉ. रवीन्द्र उपाध्याय ने कहा कि डॉ. पंकज का यह सर्वश्रेष्ठ गीत संग्रह है। आग समय में राग का गीत रचता हुआ ‘बजे शून्य में अनहद बाजा’ का कवि करुणा का वाहक है। कथाकार और कवयित्री डॉ. पूनम सिंह ने कहा कि संजय पंकज जीवन मूल्यों के गीतकार हैं। उनके गीतों में मूल्यधर्मी चेतना और कबीरी मिजाज है।
इस मौके पर अपने गीतों की प्रस्तुति के बाद लेखक डॉ. पंकज ने कहा कि मेरा यह गीत संग्रह मानवीय सरोकार की संवेदनशीलता को लय-विस्तार देने का विनम्र प्रयास है। प्रतिरोध और प्यार इन गीतों में आपको मिलेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।
इस अवसर पर डॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. सुशांत, डॉ. उज्ज्वल, अविनाश तिरंगा, डॉ. केशव किशोर कनक और साहित्य प्रेमियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही। समारोह का संचालन डॉ. संध्या पांडेय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. वंदना विजयलक्ष्मी ने किया।

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