कुल पृष्ठ दर्शन : 224

You are currently viewing यात्रा

यात्रा

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
******************************************

अनजानी गर हो डगर,यात्रा क्या आसान।
सोच-समझ पग धारिए,मंजिल को पहचान॥
मंजिल को पहचान,भटकना नहीं पड़ेगा।
साथी मेरे यार,जमाना साथ चलेगा॥
कहे ‘विनायक राज’,नहीं करना मनमानी।
एक नहीं तुम साथ,चलो जग है अनजानी॥

Leave a Reply