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यादों के बंद लिफ़ाफ़े से…

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’
मुंबई(महाराष्ट्र)

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यादों के बंद लिफ़ाफ़े से

आज एक चिट्ठी यूँ हाथ लगी,

सौंधी-सी खुशबू में लिपटी

भीने से एहसास में जकड़ी,

कोरे कागज पर अंकित

इक-इक शब्द ऐसा,

जैसे किसी धागे में पिरे मोती

भावों और यादों का

अनूठा संगम साथ लिए थी,

यादों के बंद लिफ़ाफ़े…l

इसकी इक झलक से,

उस दौर से इस दौर का

यादों का सुहाना सफर,

क्षणभर में

मुकम्मल हो गया,

यादों के बंद लिफ़ाफ़े…l

वर्षों पीछे छूटे उन लम्हों को,

फिर चंद पलों में जी पाया

कहीं रो उठा तो,

कहीं फिर से मुस्काया

कहीं उसके तो,

कहीं मेरे शिकवे थे

कभी नीम तो,

कभी गिलोरी थी पान की

और कुछ नहीं,तो ये चिट्ठी थी

आज के जख्मों पर मलहम जैसीl

यादों के बंद लिफ़ाफ़े…ll

परिचय–पूजा हेमकुमार अलापुरिया का साहित्यिक उपनाम ‘हेमाक्ष’ हैl जन्म तिथि १२ अगस्त १९८० तथा जन्म स्थान दिल्ली हैl श्रीमती अलापुरिया का निवास नवी मुंबई के ऐरोली में हैl महाराष्ट्र राज्य के शहर मुंबई की वासी ‘हेमाक्ष’ ने हिंदी में स्नातकोत्तर सहित बी.एड.,एम.फिल (हिंदी) की शिक्षा प्राप्त की है,और पी.एच-डी. की शोधार्थी हैंI आपका कार्यक्षेत्र मुंबई स्थित निजी महाविद्यालय हैl रचना प्रकाशन के तहत आपके द्वारा आदिवासियों का आन्दोलन,किन्नर और संघर्षमयी जीवन….! तथा मानव जीवन पर गहराता ‘जल संकट’ आदि विषय पर लिखे गए लेख कई पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैंl हिंदी मासिक पत्रिका के स्तम्भ की परिचर्चा में भी आप विशेषज्ञ के रूप में सहभागिता कर चुकी हैंl आपकी प्रमुख कविताएं-`आज कुछ अजीब महसूस…!`,`दोस्ती की कोई सूरत नहीं होती…!`और `उड़ जाएगी चिड़िया`आदि को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में स्थान मिला हैl यदि सम्म्मान देखें तो आपको निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार तथा महाराष्ट्र रामलीला उत्सव समिति द्वारा `श्रेष्ठ शिक्षिका` के लिए १६वा गोस्वामी संत तुलसीदासकृत रामचरित मानस पुरस्कार दिया गया हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा में लेखन कार्य करके अपने मनोभावों,विचारों एवं बदलते परिवेश का चित्र पाठकों के सामने प्रस्तुत करना हैl

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