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यार मेरे…

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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दिवंगत दोस्त को समर्पित…

यार मेरे तू जरा-सा तो
रूठ ज़ाया कर कभी,
तुझे मनाने के मौक़े की
हर तलाश है मुझे।

मेरे आँखों से अश्क़ की
क़ीमत तो जान कभी,
तेरी ख़ुशियों के लिए
जो छलके हैं सभी।

पता है तू बेवफ़ा नहीं
वफ़ाओं की मिसाल भी नहीं तू
वो जो यादें निकली है तो,
मेरे ख़यालों में रहता तू ही।

बहुत चोट खाई थी
जिंदगी में मैंने,
एक तू ही था जिसने
सँभाला है मुझे।

तेरी दोस्ती खटकती थी
हर किसी की नजर में,
ख़त्म ना हो अपना रिश्ता
यही दुआ करता हूँ रब से।

हर शख़्स में ढूंढता रहता हूँ
तेरे जैसा चेहरा कोई।
कुछ भूले-भटके ही सही,
मिल जाए दुबारा तू कहीं…॥