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ये दुनिया है जनाब

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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ये दुनिया है जनाब,
बैठा था यूँ ही
सोचा लिखने के लिए,
चलो कलम उठा लेते हैं।

क्या लिखूँ मैं…?
प्रश्न आया मन में,
सोंचा, दुनिया में हूँ!
चलो दुनियादारी सुना लेते हैं।

ये दुनिया है जनाब,
मिट्टी में मिलाने के लिए
लोग कंधे पर उठा लेते हैं।

रोटियाँ खाकर चाटते हैं,
पाँव जो दुम हिलाकर
रोटियाँ ना दें तो वे कुत्ते,
भी जूतियाँ उठा लेते हैं।

ऊँचाईयों से गिराना,
हो अगर हितकर
लोग जमीं से उठाकर,
छत पे बिठा लेते हैं।

कहे ‘उमेश’ मन को समझाकर,
हो जा सावधान..!
अनजान अगर जो,
पास में बैठे आकर
क्योंकि पास वाले ही,
पर्स उठा लेते हैं।
ये दुनिया है जनाब,
मिट्टी में मिलाने के लिए,
लोग कंधे पर उठा लेते हैं॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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