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योग से ही मनुष्य का स्वास्थ्य

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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सभी मिलकर करते हैं मित्रों योग दिवस का सम्मान,
योग से ही है मनुष्यों का स्वास्थ्य,शरीर की पहचान।

इसलिए करते रहिए आप योग,बने रहिए निरोग,
योगा के डर से भागेगा सब,भारी से भारी रोग।

रीत आधारित योग दिवस पर,लिखी मैंने कविता,
मुझे देख के मेरा बच्चा साथ में योग करता रहता।

मैं शाम-सुबह हमेशा,रोज करती रहतीं हूँ योग,
तभी तो मैं मित्रों,हमेशा ही रहती हूँ निरोग।

सिखा रही हूँ बच्चों को योग से सूर्य को नमस्कार,
योग भी सीखेगा,और सीख जाएगा धर्म-संस्कार।

योग तो लाख दवा की एक दवा है सुनो मेरे भाई,
योग से ही ‘देवन्ती’ अपनी निर्मल काया कर पाई।

जब से अपनाया योगा,मानव का तन-मन हुआ कमाल,
उसके पहले घुटने के दर्द से रहते थे बहुत ही बेहाल।

युवा-वृद्ध सभी नित्य योगा करो मेरे प्यारे बाबा भाई,
सच कहती हूँ आपको,योगा से छूट जाएगी दवाई।

अब तो हर घर में बड़े-बुजुर्ग,बच्चों को भी सिखाते योगा,
यकीन करना तुम मित्र,देख लो दुनिया में छाया है योगा।

जबसे योगा है आया,ज्ञान मुझको मिलता है,
गृह कार्य बाद,इससे चेहरा नारी का भी खिलता है॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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