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बचाई तितलियाँ हमने

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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सदा नफरत की लहरों पर उतारी कश्तियाँ हमने।
ठिकाना जल गया बेशक बचाई बस्तियाँ हमने।

जहाँ बेहाल जीना हो गया था सख्त कलियों का,
जले थे हाथ बेशक पर बचाई तितलियाँ हमने।

हवा बेदर्द होकर कर के अगर दीपक बुझाती थी,
रखी थी बादलों से कुछ चुराकर बिजलियाँ हमने।

जमी थी धूल रिश्तों पर करी कोशिश हटाने की,
बढ़ाकर हाथ दोनों ही घटायीं दूरियाँ हमने।

बड़ा मुश्किल यहां पर मज़हबी लेखा मिटा देना,
नतीजा कुछ भी हो घर से हटा दी तख्तियाँ हमने।

बहुत हथियार अपने पास हैं दुनिया दहलती है,
मिटा दी चीन जैसे मुल्क की भी सख्तियाँ हमने।

भला मानो बुरा मानो सदा सच बोलता ‘हलधर’,
नहीं झूठी बटोरी आज तक भी सुर्खियाँ हमने॥

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