शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान)
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स्नेह भरा आँखों में मन में चली प्यार की आँधी,
हर्षित मन से बहना ने भाई को राखी बांधीl
माथे पर कुंकुम का टीका राखी भरी कलाई,
बहना दे आशीष और ये वचन दे रहा भाईl
बहना तेरी राखी का मैं मोल चुका ना पाऊँगा,
पर तेरी रक्षा करने का वचन सदा निभाऊंगाl
तू मेरी अनमोल निधि है,ममता की तू मूरत है,
तेरा प्यार बसा है दिल में मन में तेरी सूरत हैl
तूने इतना प्यार दिया है,जितना माँ ही देती है,
मेरी इक मुस्कान ही तेरा दर्द सभी हर लेती हैl
तू मेरी बहना है पर मैंने तो माँ ही माना है,
तेरी ममता और प्यार को माँ सदृश्य ही जाना हैl
छोटा हूँ फिर भी तेरी रक्षा का वचन निभाऊंगा,
जहाँ कहीं भी रहूँ,दौड़ कर पास तेरे मैं आऊँगाl
इतना सुदृढ़ बंधन है ये कभी छूट ना पायेगा,
कच्चे धागों का है फिर भी कभी टूट ना पायेगाl
और वचन इक देता हूँ मैं ऐसा जहां बनाऊंगा,
होगी कष्ट में कोई बहना रक्षा करने जाऊँगाl
जब तक तन में जान है मैं वो घड़ी नहीं आने दूंगा,
मेरे रहते किसी बहन की इज्जत ना जाने दूंगाl
कैसे बुद्धि भ्रष्ट हुई भाई बन अत्याचार किया,
सगी बहन को भी ना छोड़ा,उससे भी व्यभिचार किया ?
ऐसे दुष्ट दरिंदों को मैं पकड़ सामने लाऊंगा,
सबके सम्मुख चौराहे पर उसको सजा दिलाऊंगाl
भाई के रिश्ते को जिसने आज कलंकित कर डाला,
नन्हीं-नन्हीं बहनों को भी इसने आज मसल डालाl
भाई-बहन के रिश्तों पर भी अब विश्वास करेगा कौन ?
बहुत कर लिया सहन सभी ने,पर अब सहन करेगा कौन ?
अब ऐसे अत्याचारी को दंडित तो करना होगा,
जितने पाप किये हैं सबका खमियाजा भरना होगाl
संस्कार जो दिये हैं तूने उनको नहीं लजाऊंगा,
तेरी दी आशीषों से ही मैं उन पर चल पाऊंगाl
तूने मुझसे वचन लिया है माँ भारत की रक्षा का,
मर जाऊंगा समय आयेगा ऐसी किसी परीक्षा काl
चिन्ता ना कर तुझे दिये वो सारे वचन निभाऊंगा,
नहीं निभा पाया तो तुझको चेहरा नहीं दिखाऊंगाll
परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है।