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अब हर भारतवासी समान

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

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कश्मीर की कलियां खिलने लगेंगी,
वो अब अपने-आपसे मिलने लगेंगी।

अम्बर का भी मन नहीं अब दुखी होगा,
वहां का जीव-जगत अब सुखी होगा।

न अब हमारे तिरंगे का अपमान होगा,
अब हर भारतवासी समान होगा।

न अब वहां राष्ट्रवाद के झगड़े होंगे,
सब समान कमजोर और तगड़े होंगे।

अब एक शासन-एक विधान होगा,
कश्मीर में अब नया विहान होगा।

सरिता भी अब स्वतंत्र होकर बहेंगी
भारत माता की जय सब बहारें कहेंगी।

भारत में अब दुबारा आजादी आई है,
यह हम सबमें समानता लाई है।

दुःख और झगड़े की बदलियां छट गईं,
धारा तीन सौ सत्तर कश्मीर से हट गई।

नया जन्म-सा पाया है अपने भारत ने,
कितनी पीड़ा सही थी इस इमारत ने।

वादी-ए-कश्मीर चंद लफंगों की गुलाम थी,
अलगाववादियों की लगी लगाम थी।

अब आजाद किया भारत सरकार ने,
इज्जत मिली अब,जो खोई दरबार ने।

जब भारत के शेरों ने लगाई दहाड़,
दहल गये आतंकियों के सब पहाड़॥

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

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