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राजनीति…

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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बिल्ली तो तड़पड़ाती रहती है,
कब टूटे छींका गाती रहती है।

धमकी धमक चुनावी नारों की,
हमेशा ही धमकाती रहती है।

पूरी तो नही कभी होती बशर्ते,
मतदाता मुँह चिढ़ाती रहती है।

गुरबत हटा कई दशकों से,
गरीबी गिड़गिड़ाती रहती है।

भय भूख भ्रष्टाचार की भी मक्खी,
भिन-भिन,भिनभिनाती रहती है।

चाल-चरित्र चेहरे की चाशनी,
चिप-चिप,चिपचिपाती रहती है।

विचित्र मित्र,इत्र वाला चित्र भी,
गुर्र-गुर्र गरियाती रहती है।

लड़की तो है वह लड़ती कहाँ,
उड़ती,अड़ी लड़ाती रहती है।

तारीख बता मंदिर बनाए तो,
फूफनी क्यों फनफनाती रहती है॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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