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राम अवध हैं लौटते

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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वायु सुगंधित हो गई, झूमे आज बहार।
राम अवध हैं लौटते, फैल रहा उजियार॥

सरयू तो हर्षा रही, हिमगिरि है खुश आज।
मंगलमय मौसम हुआ, धरा कर रही नाज़।
सबके मन नर्तन करें, बहुत सुहाना पर्व।
भक्त कर रहे आज सब, इस युग पर तो गर्व॥
सकल विश्व को मिल गया, एक नवल उपहार,
राम अवध हैं लौटते, फैल रहा उजियार…॥

जीवन में आनंद अब, दूर हुई सब पीर।
नहीं व्यग्र अंत:करण, नहीं नैन में नीर।
सुमन खिले हर ओर अब, नया हुआ परिवेश।
दूर हुआ अभिशाप अब, परे हटा सब क्लेश॥
आज धर्म की जीत है, पापी की तो हार,
राम अवध हैं लौटते, फैल रहा उजियार…॥

आज हुआ अनुकूल सब, अधरों पर है गान।
आज अवध में पल रही, राघव की फिर आन।
आतिशबाज़ी सब करो, वारो मंगलदीप।
आएगी संपन्नता, चलकर आज समीप॥
बाल-वृद्ध उल्लास में, उत्साहित नर-नार,
राम अवध हैं लौटते, फैल रहा उजियार…॥

जीवन अब अनुरागमय, सधे सभी सुर आज।
प्रभु राघव का हो गया, हर दिल पर तो राज।
भक्तों ने हनुमान बन, किया राम का काज।
दुष्टों पर आवेग में, गिरी आज तो गाज॥
साँच और शुभ रीति से, चहके हैं घर-द्वार,
राम अवध हैं लौटते, फैल रहा उजियार…॥

तुलसी बाबा खुश हुए, त्रेता का यह दौर।
सारे सब-कुछ भूलकर, करें राम पर गौर।
दौड़ रहे साकेत को, बोल रहे जय राम।
प्रभुदर्शन में बस गया, दिव्य ललित आयाम॥
आओ राघव! आपका, बार-बार सत्कार।
राम अवध हैं लौटते, फैल रहा उजियार…॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।