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लो चाँद निकल आया

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’ 
इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

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हर सिम्त मुसर्रत है रौनक़ है फ़िज़ाओं में,
लो चाँद निकल आया यादों की घटाओं में।

दीदार करूँ तेरा,तू सामने अब आजा,
बीता है माहे रमज़ा,हर वक़्त दुआओं में।

आ ईद मना लें अब,मिल जाएं गले जानम,
दस्तूर निभाएं हम ये इश्क़ के गाँव में।

मैं सजदा करूँ या फिर इस दिल को सँभालूँ मैं,
इक हुस्न नज़र आया चाहत की घटाओं में।

दुनिया की रिवायत को मैं कैसे निभाऊं अब,
दुनिया तो है अब डूबी अपनी ही अदाओं में।

ये रस्मे मोहब्बत भी है चीज़ अजब ‘नीलम’,
ख्वाहिश है निगाहों में ज़ंजीर है पाँवों में॥

परिचय-डॉ.नीलिमा मिश्रा का साहित्यिक नाम नीलम है। जन्म तारीख १७ अगस्त १९६२ एवं जन्म स्थान-इलाहाबाद है। वर्तमान में इलाहाबाद स्थित साउथ मलाका (उत्तर प्रदेश) बसी हुई हैं। स्थाई पता भी यही है। आप एम.ए. और पी-एच.डी. शिक्षित होकर केन्द्रीय विद्यालय (इलाहाबाद) में नौकरी में हैं। सामाजिक गतिविधि के निमित्त साहित्य मंचन की उपाध्यक्ष रहीं हैं। साथ ही अन्य संस्थाओं में सचिव और सदस्य भी हैं। इनकी लेखन विधा-सूफ़ियाना कलाम सहित ग़ज़ल,गीत कविता,लेख एवं हाइकु इत्यादि है। एपिग्रेफिकल सोसायटी आफ इंडिया सहित कई पत्र-पत्रिका में विशेष साक्षात्कार तथा इनकी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। ब्लॉग पर भी लिखने वाली डॉ. मिश्रा की विशेष उपलब्धि-विश्व संस्कृत सम्मेलन (२०१५,बैंकाक-थाईलैंड)और कुम्भ मेले (प्रयाग) में आयोजित विश्व सम्मेलन में सहभागिता है। लेखनी का उद्देश्य-आत्म संतुष्टि और समाज में बदलाव लाना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-डॉ. कलीम कैसर हैं। इनकी विशेषज्ञता-ग़ज़ल लेखन में है,तो रुचि-गायन में रखती हैं। 

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