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जीवनसाथी

पुष्पा अवस्थी ‘स्वाति’ 
मुंम्बई(महाराष्ट्र)

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संध्या जो आए मन घबराए,
जीवनसाथी तुम बिन हाय।

लागे न तुम बिन सांझ सुहानी,
झुकती घटाएं रुत मस्तानी।
मन की जलन को और बढ़ाए,
जीवनसाथी तुम बिन हाय॥

बीत गए जाने कितने पल,
आँखों से बरसे बनके जल।
फिर भी प्यास बुझा ना पाए,
जीवनसाथी तुम बिन हाय॥

रात कभी जो महक उठती है,
स्वप्न सुहाने हो जाते हैं।
मन सागर-सा लहरा जाए,
जीवनसाथी तुम बिन हाय॥

चांद अधूरा रात अधूरी,
मन की है हर बात अधूरी।
यूं ही रुत आए रुत जाए,
जीवन साथी तुम बिन हाय॥

परिचय-पुष्पा अवस्थी का उपनाम-स्वाति है। आपकी शिक्षा एम.ए.(हिंदी साहित्य रत्न)है। जन्म स्थान-कानपुर है। आपका कार्यक्षेत्र स्वयं का  व्यवसाय(स्वास्थ्य सम्बंधी)है। वर्तमान में पुष्पा अवस्थी मुंम्बई स्थित कांदिवली(वेस्ट)में बसी हुई हैं। इनकी उपलब्धि बीमा क्षेत्र में लगातार तीन साल विजेता रहना है। प्रकाशित पुस्तकों में-भूली बिसरी यादें(ग़ज़ल-गीत कविता संग्रह)एवं तपती दोपहर के साए (ग़ज़ल संग्रह)है। 

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