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लौट आ…

बुद्धिप्रकाश महावर मन
मलारना (राजस्थान)

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कहते हैं,
जिंदगी जिंदादिली का नाम है।
फिर क्यों हार जाते हैं…?
फिर क्यों टूट जाते हैं…?
फिर क्यों कर लेते हैं खुदखुशी…?
अपनी ही खुशियों का,
घोंट लेते हैं गला।
क्या तुम्हें जीने का हक नहीं…?
क्या तुम पर किसी का हक नहीं…?
फिर क्यों इंसान…?
यूँ सोचता नहीं,
कि अपनी भी कोई खुशी है…
कि हम भी किसी की खुशी हैं।
कोई जीता है हमसे,
कोई खुश है हमसे…
कोई जीना सीखता है हमसे,
या कहें तो हम-सी जिंदगी जीने को
मोहताज हैं वे तो।
फिर सोचो,
हमारे पीछे क्या नहीं…?
हमारे पास क्या नहीं…?
वो ही सब कुछ,
जो उनके है पास।
तन…मन…और…थोड़ा-बहुत धन…!
धन की बात करूं तो…
बस गिनती ही घटती-बढ़ती।
या कहूँ तो आज पास है,
कल दूर…
या आज दूर है तो कल होगा पास,
मत हो उदास।
फिर देखो न,कौन ले जा सका है,
अपने साथ!
या कौन लाया है अपने साथ।
खाली हाथ आना,
फिर खाली हाथ जाना।
नियति है जग की यही,
हर फर्ज निभाना।
ना टूटना,ना बिखरना,
‘मन’  की खींच-तान को,
अपनों के संग बाँटना।
सपनों की ओढ़ चादर,
उम्मीदों की नाव पर।
हौंसलों के पंखों से,
जिंदगी की धूप- छांव में।
मुड़कर देखना एक बार,
घर की उस चौखट को…
जहाँ बिताई थी खुशियों की सुबह,
जहां काटी थी गम की रातें।
वे बच्चों की किलकारियाँ,
माँ की असीम ममता…!
पिता का अप्रकट स्नेह,
बीवी का अगाध प्रेम
भाई का अटल साथ,
बहिन के प्रेम का धागा।
वो आज भी बुला रहे हैं,
तुम्हें बाँहें पसार।
बार-बार।
लौट आ…,
लौट आ…
लौट आ…॥

परिचय-बुद्धिप्रकाश महावर की जन्म तिथि ३ जुलाई १९७६ है। आपका वर्तमान निवास जिला दौसा(राजस्थान) के ग्राम मलारना में है। लेखन में साहित्यिक उपनाम-मन लिखते हैं।हालांकि, एक राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ने आपको `तोषमणि` साहित्यिक उप नाम से अलंकृत किया है। एम.ए.(हिंदी) तथा बी.एड. शिक्षित होकर आप अध्यापक (दौसा) हैं। सामाज़िक क्षेत्र में-सामाजिक सुधार कार्यों,बेटी बचाओ जैसे काम में सक्रिय हैं। आप लेखन विधा में कविता,कहानी,संस्मरण,लघुकथा,ग़ज़ल, गीत,नज्म तथा बाल गीत आदि लिखते हैं। ‘हौंसलों के पंखों से'(काव्य संग्रह) तथा ‘कनिका'( कहानी संग्रह) किताब आपके नाम से आ चुकी है। सम्मान में श्री महावर को बाल मुकुंद गुप्त साहित्यिक सम्मान -२०१७,राष्ट्रीय कवि चौपाल साहित्यिक सम्मान-२१०७ तथा दौसा जिला गौरव सम्मान-२०१८ मिला हैl आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक एवं राष्ट्रीय जागृति,पीड़ितों का उद्धार, आत्मखुशी और व्यक्तिगत पहचान स्थापित करना है।

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