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वह प्यारा-सा गाँव

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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मन क्यों उबने लगा
दूषित वातावरण हुआ,
दिल चाहे कुछ और
चलो चलें अबअपने गाँव,
कि ओर…
चलो चलें अब…।

पगडंडी के रास्ते
पतली संकरी वो गलियाँ,
खेतों में झूमें बालियाँ
आमों के लटकते बौर…
चलो चलें अब अपने…।

बहती हवा सुहानी है
खेतों में बहता पानी है,
जोड़ी बैलों की कहती
कोई कहानी है,
और पीपल का छाँव…
चलो चलें अब अपने…।

पनघट पर गोरी का चेहरा
उस पर है घूघंट का पहरा,
होंठों पर गीतों का सजना
सुंदर पाजेब वाले पाँव…।
चलो चलें अब अपने…॥

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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