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कृपामय ठाकुर सदा जागृत हैं जगत में

गोपाल चन्द्र मुखर्जी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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परमहंस ठाकुर श्रीरामकृष्ण देव जी को अर्पित

सर्व धर्म का समन्वय बढ़ा कर विश्व में धर्मयुद्ध का समापन करते हुए संतान सम विश्व मानव एवं भक्तों का कल्याण करने के लिए ठाकुर जी स्वयं सूर्योदय से सूर्यास्त तक पल-पल सदा व्यस्त हैं। जगत में सभी का समूचा दु:ख हरण करते हुए सभी भक्तों एवं स्मरणागतों का दायित्व स्वयं पर लेते हुए रक्षा करने का निरंतर अभय प्रदान करते हुए सभी जनों का सभी प्रकार का दुःख-दर्द, पापों का भार स्वयं पर लेकर निदान व मुक्ति देकर निश्चिन्त किया करते थे दयामय ठाकुर श्रीरामकृष्ण परमहंस देव जी। आप अभय प्रदान करके सदा विश्व में विराजित रहकर, जागृत रहकर सभी की रक्षा करने की बात कहा करते थे। ठाकुर श्रीरामकृष्ण देव जी सभी जनों का पाप स्वयं पर लेकर स्वयं कष्टमय रोगाक्रान्त (गले में सूजन या कैंसर) होकर भी सभी को दोष मुक्त व उद्धार करने के लिए माँ भवतारिनी से प्रार्थना करते-करते ब्रह्मलीन हुए थे। ठाकुर जी सदा सर्वसमय जगत संसार में सर्वत्र विराजित हैं। इस सत्य को उन्होंने परम कृपा के साथ जन्माष्टमी पर भक्तों को दर्शन देकर प्रमाणित किया है कि, उन्होंने जो आश्वासन भक्तों को दिया था,वह झूठा नहीं है। इससे प्रमाण मिलता है कि, भूतकाल में ठाकुर जी जैसे रहे हैं,वैसे ही वर्तमान के समय में भी रहेंगे व भविष्यकाल में भी सदा सत्य विराजित रहकर जग कल्याण करेंगें।
स्वामी विवेकानंद जी के मतानुसार-‘ठाकुर स्वयं अवतार वरिष्ठाय श्रीरामकृष्ण देव जी।’
सर्व अवस्थाओं में सर्वभूते सदा विराजमान है दयामय ठाकुर परमहंस श्री रामकृष्ण देव जी।
आज के समय में जब विश्व में सर्वत्र अशान्तिमय प्रतियोगिता एवं असहयोगिता जारी है,स्वयं के हितों में हिंसा,अस्थिरता और मानव मूलतः दिशाहीन हो गए हैं,तब हे,ठाकुर जी,आप रक्षा कीजिए। आप असहाय, दिग्भ्रमित,अधम,अज्ञानी संतानों पर कृपा करते हुए प्रेममय सहज पथ दर्शाएं। आप सभी जीवों को भक्तिभाव,विनम्रता,दया, सहिष्णुता,क्षमा करने का गुण,शिव ज्ञान में जीव सेवा का चेतना व विश्व कल्याण करने की प्रेरणा दीजिए।

परिचय-गोपाल चन्द्र मुखर्जी का बसेरा जिला -बिलासपुर (छत्तीसगढ़)में है। आपका जन्म २ जून १९५४ को कोलकाता में हुआ है। स्थाई रुप से छत्तीसगढ़ में ही निवासरत श्री मुखर्जी को बंगला,हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। पूर्णतः शिक्षित गोपाल जी का
कार्यक्षेत्र-नागरिकों के हित में विभिन्न मुद्दों पर समाजसेवा है,जबकि सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत सामाजिक उन्नयन में सक्रियता हैं। लेखन विधा आलेख व कविता है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य के क्षेत्र में ‘साहित्य श्री’ सम्मान,सेरा (श्रेष्ठ) साहित्यिक सम्मान,जातीय कवि परिषद(ढाका) से २ बार सेरा सम्मान प्राप्त हुआ है। इसके अलावा देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं से प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान और छग शासन से २०१६ में गणतंत्र दिवस पर उत्कृष्ट समाज सेवा मूलक कार्यों के लिए प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और भविष्य की पीढ़ी को देश की उन विभूतियों से अवगत कराना है,जिन्होंने देश या समाज के लिए कीर्ति प्राप्त की है। मुंशी प्रेमचंद को पसंदीदा हिन्दी लेखक और उत्साह को ही प्रेरणापुंज मानने वाले श्री मुखर्जी के देश व हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा एक बेहद सहजबोध,सरल एवं सर्वजन प्रिय भाषा है। अंग्रेज शासन के पूर्व से ही बंगाल में भी हिंदी भाषा का आदर है। सम्पूर्ण देश में अधिक बोलने एवं समझने वाली भाषा हिंदी है, जिसे सम्मान और अधिक प्रचारित करना सबकी जिम्मेवारी है।” आपका जीवन लक्ष्य-सामाजिक उन्नयन है।

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