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वाह री सुंदरता

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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वाह री सुंदरता,वाह वाह री सुंदरता,
देखे जो तुझको,ओ बेबस हो जाए
दिलों-जां सब,तुम पर वह है वारता,
वाह री सुंदरता,वाह वाह री सुंदरता।

हे सुंदरता तेरा अब क्या कहना,
बिन देखे तुझको अब ना रहना
तुम्हें देख कर मन है बहकता,
वाह री सुंदरता,वाह वाह सुंदरता।

चलना भी तुम्हारा क्या कहना,
रह-रह के मचलना क्या कहना
मन भौंरा हो अब है भटकता,
वाह री सुंदरता,वाह वाह री सुंदरता।

मुस्कान से मुझको जान मिले,
मन की वंशी को तान मिले
मन मिलन को है तड़पता,
वाह री सुंदरता,वाह वाह री सुंदरता।

सौंदर्य से मन का सुमन खिले,
जब दो नयनों से नयन मिलें
दूर होती मन की है उदासता,
वाह री सुंदरता,वाह वाह री सुंदरता।

रब ने तुमको है खूब रचा,
देने को तुझको कुछ न बचा
दिग्विजयी भी तुम पर है वारता,
वाह री सुंदरता,वाह वाह री सुंदरता।

बादल से काले केश तेरे,
नागिन से जब बल खाते हैं
दादुर मन है मेरा फुदकता,
वाह री सुंदरता, वाह वाह री सुंदरता।

हे प्रकृति सुंदरी यौवन तेरा,
जन-जन के मन को भाया है
तेरे दामन में ऋषियों ने,
अध्यात्मिक रहस्य को पाया है।

कहे ‘उमेश’ तुम बिन यह जग तो,
बिल्कुल उजड़ा और सूना-साना है
होता हरा है ओ जो पाता तेरी उदारता,
वाह री सुंदरता,वाह वाह री सुंदरता।

रब की रचना का क्या कहना,
सज जाता है तुझसे ही गहना
सुमन तेरी गंध लेकर है महकता,
वाह री सुंदरता,वाह वाह री सुंदरता।

‘उमेश’ की लेखनी भी मस्त है,
हे सुंदरी यह तुम पर पस्त है
हर पल तुझे ही निहारता,
वाह री सुंदरता,वाह वाह री सुंदरता।

गोदी में तेरे स्वर्ग का सुख है,
हँसता चेहरा गुलाब-सा मुख है
मैं खुद को तेरे लिए ही हूँ सँवारता,
वाह री सुंदरता,वाह वाह री सुंदरता॥

परिचय-उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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