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शुभकामनाओं में संभावनाएं

सुनील जैन राही
पालम गांव(नई दिल्ली)

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शुभकामना संदेश देखकर मन घबरा जाता है। शुभकामना का आना बिना बुलाये मेहमान की तरह खतरनाक हो गया है। शुभकामना दिखाई देती है,पहला प्रश्‍न उठता है-किसने भेजी,क्‍यों भेजी ? पिछले दिनों संबंध कैसे रहे,क्‍या इनसे कभी कोई काम करवाया या किसी काम के लिए,किसी को भेजा है,तमाम प्रश्‍न कौंध जाते हैं। शुभकामनाएं वहीं से आने की उम्‍मीद होती है,जहां पाने की लालसा होती है,फिर खाली-पीली आशीर्वाद ही क्‍यों न हो। बिना स्‍वार्थ और लालसा के शुभकामनाओं का जमाना लद गया। बुडढा और बुढ़िया बिना किसी लालसा और स्‍वार्थ के कह देते-दूधो नहाओ,पूतो फलो। अब तो शुभकामनाएं इस प्रकार हैं-तू भी खा,मैं भी खाऊँ,उसने भी खाया और को भी खिलाया। हमने शोषण किया,तू भी शोषण कर। हमने चोरी की,तू भी चोरी कर-आदि-आदि,इत्‍यादि-इत्‍यादि।

अफसर के पास ठेकेदार का शुभकामना संदेश का आना काम के पूर्ण हो जाने और कमीशन भेज दिए जाने का द्योतक है। अधिकारी का ठेकेदार के पास शुभकामनाएं भेजना यानी,भाई अभी तक कमीशन खाते में नहीं आया,खाते में भेजने में असुविधा हो तो चपरासी के माध्‍यम से घर भिजवा सकते हैं।

बैंक वालों को सबसे ज्‍यादा शुभकामना संदेश आते हैं। उनका शुभकामनाओं का पिटारा भरा होता है। उसमें छोटे-मोटे संदेश के लिए कोई स्‍थान नहीं होता। अगर ५ लाख का कर्जा(लोन) है तो वह बैंक के बाहर लेटर बॉक्‍स में पड़ा रहेगा। दस लाख या उससे ज्‍यादा के कर्ज का शुभकामना संदेश है तो सहायक प्रबन्धक की टेबल पर दायीं ट्रे तब तक रखा रहेगा,जब तक प्रबन्धक से उस पर गोपनीय वार्ता नहीं हो जाती। १ करोड़ से ऊपर कर्ज के लिए अन्‍य उच्‍चाधिकारियों के शुभकामनाओं के संदेश पर कार्यालय में गोलमेज सम्‍मेलन होता है। यह दीगर बात है कि वह शुभकामना संदेश हवाई जहाज में बैठकर फुर्र हो जाता है और कुछ ही दिनों में गोलमेज में शुभकामनाएं पाने वाले भी या तो वीआरएस(विशेष रिश्‍वत सुविधा अवकाश) ले लेते हैं,या किसी दूरदराज की शाखा में अन्‍य शुभकामनाओं की तलाश में जुट जाते हैं।

बैंक वाले तन्‍खा पर नहीं,शुभकामनाओं पर जीते हैं। चैक भुनाए नहीं,उड़ाये जाते हैं,उन चैक के साथ बहुत कुछ उड़ जाता है,उड़ जाते हैं,रह जाता है खाली रन-वे (रास्‍ता खाली है-भाग ले)l

दिवाली पर शुभकामनाओं के संदेश के अपने अर्थ होते हैं,पिछले साल के संबंधों को बनाये रखना,मिठाई भेजी थी मिठाई के अनुसार संबंधों में गुड़ मिलाते रहना। जैसे-जैसे शुभकामना संदेश का बढ़ना व्‍यवसाय और व्‍यापार की बढ़ोतरी का मानदंड है। अब शुभकामनाएं गरीब की जोरु हो गई हैं। किसी को,कभी भी शुभकमानाएं भेज दो,वह बीमारी से परेशान,शुभकामनाएं उसके सामने कड़वी दवाई की तरह पड़ी हैं। वह ट्रेन पकड़ने के अंतिम दौर में दौड़ रहा है,आपका संदेश-कैसे हो भाई ?,उसे लगता है,अगर इनको अटेण्‍ड किया तो गाड़ी गई।

अब एक और बीमारी बढ़ गई है फेसबुकिया शुभकामनाएं संदेश। बड़े अजीब होते हैं,आप बीमार हैं,आप दुखी है,लेकिन संदेश आ गया शुभ हो यानी और दुखी तथा बीमार रहो। आप मर रहे हैं,लेकिन संदेश आ रहा है आप खुश हैं और रहो,आप मर चुके हैं और आपके जन्‍मदिन की बधाई का संदेश आ रहा है।

मन पीड़ा से भर जाता है,जब कोई आत्‍मीय इस दुनिया में नहीं है और फेसबुक पर उसके जन्‍मदिन की बधाइयों का तांता लगा है। हर शुभकामना संदेश अब तो स्‍वार्थ से भरा लगता है,ऐसे शुभकामना संदेश न मिलें तो ज्‍यादा अच्‍छा है। बिना शुभकामनाओं के साथ भी जिया जा सकता है।

परिचय-आपका जन्म स्थान पाढ़म(जिला-मैनपुरी,फिरोजाबाद)तथा जन्म तारीख २९ सितम्बर है।सुनील जैन का उपनाम `राही` है,और हिन्दी सहित मराठी,गुजराती(कार्यसाधक ज्ञान)भाषा भी जानते हैं।बी.कॉम.की शिक्षा खरगोन(मध्यप्रदेश)से तथा एम.ए.(हिन्दी,मुंबई विश्वविद्यालय) से करने के साथ ही बीटीसी भी किया है। पालम गांव(नई दिल्ली) निवासी श्री जैन के प्रकाशन खाते में-व्यंग्य संग्रह-झम्मन सरकार,व्यंग्य चालीसा सहित सम्पादन भी है।आपकी कुछ रचनाएं अभी प्रकाशन में हैं तो कई दैनिक समाचार पत्रों में लेखनी का प्रकाशन होने के साथ आकाशवाणी(मुंबई-दिल्ली)से कविताओं का सीधा और दूरदर्शन से भी कविताओं का प्रसारण हो चुका है। राही ने बाबा साहेब आम्बेडकर के मराठी भाषणों का हिन्दी अनुवाद भी किया है। मराठी के दो धारावाहिकों सहित करीब १२ आलेखों का अनुवाद भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं,रेडियो सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में ४५ से अधिक पुस्तकों की समीक्षाएं प्रसारित-प्रकाशित हो चुकी हैं। आप मुंबई विश्वविद्यालय में नामी रचनाओं पर पर्चा पठन भी कर चुके हैं। कुछ अखबारों में नियमित व्यंग्य लेखन करते हैं। एक व्यंग्य संग्रह अभी प्रकाशनाधीन हैl नई दिल्ली प्रदेश के निवासी श्री जैन सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रीय है| व्यंग्य प्रमुख है,जबकि बाल कहानियां और कविताएं भी लिखते हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखते हैंl आपकी लेखनी का उद्देश्य-पीड़ा देखना,महसूस करना और व्यक्त कर देना है।

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