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विघ्न हरो गणराज

अनिल कसेर ‘उजाला’ 
राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)
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हे गणपति सबके विघ्न हरो गणराज,

द्वार तिहारे आए,बनाओ सब बिगड़े काज।

तूम हो भोले के सुत,माँ गौरी के लाल,

हे लंबोदर वर दो हमको,हो जाएं निहाल।

सुख-सम्पति के दाता,कार्तिके के भ्राता,

रिद्धि-सिद्धि के तुम हो प्रदाता।

मिटे क्लेश सब के दिल से दाता,

प्यार ही प्यार दुनिया में रच-बस जाता।

अंधन को आँख दे,कौढ़िन को काया,

खुशियां ही खुशियां जग में भर दो गणराया।

अज्ञानता के अंधकार को तुमने टाला,

ज्ञान का फैले चंहुओर उजाला ही उजालाll

परिचय –अनिल कसेर का निवास छतीसगढ़ के जिला-राजनांदगांव में है। आपका साहित्यिक उपनाम-उजाला है। १० सितम्बर १९७३ को डोंगरगांव (राजनांदगांव)में जन्मे श्री कसेर को हिन्दी,अंग्रेजी और उर्दू भाषा आती है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)तथा पीजीडीसीए है। कार्यक्षेत्र-स्वयं का व्यवसाय है। इनकी लेखन विधा-कविता,लघुकथा,गीत और ग़ज़ल है। कुछ रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सच्चाई को उजागर करके कठिनाइयों से लड़ना और हिम्मत देने की कोशिश है। प्रेरणापुंज-देशप्रेम व परिवार है। सबके लिए संदेश-जो भी लिखें,सच्चाई लिखें। श्री कसेर की विशेषज्ञता-बोलचाल की भाषा व सरल हिन्दी में लिखना है।

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