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वीर जवान की संगिनी…

अल्पा मेहता ‘एक एहसास’
राजकोट (गुजरात)
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भारतीय वीर जवान जब युद्ध में लड़ते-लड़ते मौत के पहलू में सो के शहीद होने वाला होता है,तभी अपनी जीवन संगिनी को आख़री संदेश सुनाता है। उस संदेश में वो आशाओं का दीप जलाए रखता है, वो अपनी पत्नी को ये नहीं कह पाता कि,वो अब कभी न लौट पाएगा। तब वो कहता है कि,जब तुम पीपल के पेड़ के सारे पर्ण गिन लोगी,तब तक मैं लौट आऊंगा,…तब तक मैं लौट आऊंगा…-
गिनती रहूं सुबह-शाम,
पीपल की छाँव तले पीपल पान
संदेश भेजियो बलम मोरे,
आवियो जब गिन लो सारे पान
बाट निहारुं बरसों-बरस से रे,
विरह में तड़पूं,नैनन बरसे-बरसों रे
ललाट तिलक करियो जब,
तूने कियो है वादो आवेगो सर्द
सर्द तो बीते देर हुई,
आंसू की पुरवाई भी ढेर हुई
ग्रीष्म की तपती रेत में खड़ी रहूं,
उगमणे इंतज़ार लिए झूलती रहूं
बीते ना लम्हें-बारिश के मौसम,
जब चले पुरवाई, मैं ढलती रहूं
चुनरी की कोर भी मैली हो गई,
आंसुओं की बूंदें निचोड़ती रही
करती रही सवाल विरह की वेदना भी,
पूछे मुझे कभी न ख़त्म होनेवाला इंतज़ार भी।
क्या कभी तेरा साजन आएगा भी…?
क्या कभी तेरा साजन आएगा भी…?
भारत के वीर जवानों ने हमेशा हमारे देश को गौरव प्रदान किया है। देश को सर्वोपरि रखा है, देश के प्रति अपना जीवन समर्पित सेवा में चित्रित किया जाना भारतीय सेना के अधिकारी की सच्ची कृतज्ञता को दर्शाता है। रक्षाकर्मियों के परिवार सच्चे नायक हैं,क्योंकि तनाव और कठिनाइयों के बीच वे दबाव में नहीं गिरते हैं। वे न केवल सच्चे साहस के अधिकारी होते हैं,बल्कि वे धैर्य और सकारात्मकता के साथ अपने भाग्य को धारण करते हैं।
सैनिकों की जीवनसाथी की वेदना तो लग्न बंधन में बंधने से पहले ही शुरू हो जाती है,क्योंकि उन्हें पता होता है कि शायद उन्हें अपनी आधी जिंदगी पति से दूर रह कर गुजारनी पड़े। अपनी जिंदगी के पन्नों में पति का साथ बहुत कम लिखा होता है, और ये भी मानसिक दौर मन में छाया रहता है कि कब उनके पति का साथ उनसे छूट जाएगा। फ़िर भी वो हल्की-सी हँसी में पूरा जीवन बिता देती है उन हल्की-सी मुस्कुराहट के पीछे सागर से भी गहरा दर्द समेटा हुआ होता है।
एक शहीद अपने अंतिम क्षण में बहुत कुछ कहना चाहता है…अपनी धर्मपत्नी, अपनी संतानों के लिए…बहुत कुछ सोच लेता है वो उन चंद पलों में… वो आँखों से यही गुजारिश करता है…जेड
सन्नाटे में गुजरा जीवन,
मेरी जीवन संगिनी का
कोई तो रोशनी की किरण फैलाना,
दर्द में कभी आंसू गिराए
कोई तो दामन उनका थाम लेना,
रौनक चेहरे पर मेरे बच्चों की
कभी कम न हो पाए।
कभी जीवन में उनके,
खुशियाँ बनके जगमगाना…॥

परिचय-अल्पा मेहता का जन्म स्थल राजकोट (गुजरात)है। वर्तमान में राजकोट में ही बसेरा है। इनकी शिक्षा बी.कॉम. है। लेखन में ‘एक एहसास’ उपनाम से पहचान रखने वाली श्रीमती मेहता की लेखन प्रवृत्ति काव्य,वार्ता व आलेख है। आपकी किताब अल्पा ‘एहसास’ प्रकाशित हो चुकी है,तो कई रचना दैनिक अख़बार एवं पत्रिकाओं सहित अंतरजाल पर भी हैं। वर्ल्ड बुक ऑफ़ टेलेंट रिकॉर्ड सहित मोस्ट संवेदनशील कवियित्री,गोल्ड स्टार बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड एवं इंडि जीनियस वर्ल्ड रिकॉर्ड आदि सम्मान आपकी उपलब्धि हैं। आपको गायन का शौक है।

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