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वो हमें याद है…

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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मन आज बहुत उदास है,
दिल में आज भी प्यास है
कैसे कहें हम उनको,
कि हमें तुमसे प्यार है
मिले हुए वर्षों बीत गए,
पर बात दिल की कह न सके
उम्र के इस पड़ाव पर भी,
वो हमें याद है
कहाँ है और कैसे होंगे,
कुछ भी नहीं है पता।

जब भी तन्हा होता हूँ,
उनके बारे में सोचता हूँ
क्योंकि,बोली नहीं उनको दिल की बात,
यही सोचकर वो भी खामोश रहे
शायद कभी तो बोलेंगे वो,
जुबान से अपने दिल की बात
पर क्यों नहीं कह पा रहे हैं,
कि हमें है तुमसे प्यार
परंतु समझ दोनों नहीं पाए,
कि कैसे करें प्यार का इजहार।

आज एकाएक उनसे मुलाकात हो गई,
मिलकर पुरानी यादें ताजा हो गई
देखकर वो भी हमें खुश हो गए,
हम भी मुस्कराकर उनके हो गए
बातों ही बातों में पता चला,
कि वो आज भी तन्हा है
जैसे कि में अकेला-तन्हा हूँ,
वैसे ही वो भी हमारे जैसे हैं।

वो हमें और हम उन्हें,
बस देखते ही रहे
कुछ उन्होंने जिंदगी की दास्तान सुनाई,
तो कुछ हमने अपनी सुनाई
सुबह से शाम कब हो गई,
दोनों को पता ही नहीं चला
अब फिर से बिछड़ने का,
दोनों का वक्त आ गया
पर चलते-चलते दे गए संदेश,
कि,हम बने हैं एक-दूसरे के लिए
इसलिए तो अब तक दोनों अकेले हैं,
प्यार का ये तरीका बहुत ही निराला है
क्योंकि दोनों ने जो एक-दूसरे को,
ही अपना माना है।

बहुत कम होते हैं ऐसे लोग,
जो प्यार को पूजा और करने वाले को
तपस्वी साधक समझते हैं
और जमाने में ऐसे उदाहरण,
देखने को कम ही मिलते हैं
प्यार कोई वासना और शारीरिक,
संबंध के लिए नहीं होता
प्यार तो दो दिलों की,
भावनाओं का मिलन होता है।
इसलिए तो प्यार का नाम इतिहास में,
स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाता है॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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