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शक्ति में भक्ति

विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)

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आज मिली है शक्ति
बन्दे कर ले माँ की भक्ति,
किसने देखा कल क्या होगा
सबने समय से बदली,
आज मिली है शक्ति
बन्दे कर ले माँ की भक्ति।

जिसने भी स्नेह लगाया
सब पे दया सुख आया,
अष्टभुजा वाली,काली
दुनिया को रखवाली,
आज मिली है शक्ति
बन्दे कर ले माँ की भक्ति।

ऐसा भक्त आज भी जग में
करते शेर सवारी,
माँ की ममता झलक रही है
जिसने ये सुख पाया,
आज मिली है शक्ति,
बन्दे कर ले माँ की भक्ति।

टूट नहीं सकते हैं तारे
आसमान में अटके,
माँ की दया कभी ना छूटे
हम पुत्र हैं भटके-भटके।
आज मिली है शक्ति
बन्दे कर ले माँ की भक्ति॥

परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।

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