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शक्ति स्वरूपा

डॉ.मंजूलता मौर्या 
मुंबई(महाराष्ट्र)
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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………


दिल में भरकर ममता और दुलार,
दुनिया को अपने प्रेम से सँवारा।
संघर्षों से भरे जीवन में,
बनी हर वक्त वह मजबूत सहारा।

सहा बहुत कुछ उसने अब तक,
अब उसने शक्ति संजोई है।
लड़ रही अपने अधिकारों के लिए,
उसकी शक्ति का लोहा मान रहा हर कोई है।

कही न जाती थी जो अब तक,
वह बात जुबान पर आई है।
बदलकर जीवन के प्रति नजरिया,
उसने एक क्रांति घर-घर लाई है।

बदल रही है नए युग की नारी,
अब बदलने की तुम्हारी बारी है।
नहीं सहना आत्मसम्मान पर कोई चोट,
बदलाव का यह सिलसिला जारी है।

वेदों में पूजा गया था जिसे,
की गई थी ग्रंथों में भी आराधना।
प्रभु श्री राम ने भी मानी नारी की शक्ति,
लंका-विजय के लिए माँ की ही भक्ति।

धरती क्या,अम्बर पर भी,
दिया अपने अदम्य साहस का परिचय।
रचा इतिहास,झांसी की रानी बनकर दिखलाया,
कल्पना ने पहुँच चाँद पर,अपना सामर्थ्य दिखाया।

अब वह अबला सीता नहीं,
न ही वह बेबस अहिल्या है।
अपना भाग्य खुद बनाने वाली,
अब वह शक्ति स्वरूपा है…॥

परिचय-डॉ.मंजूलता मौर्या का निवास नवी मुंबई स्थित वाशी में है। साहित्यिक उपनाम-मंजू है। इनकी जन्म तारीख-१५ जुलाई १९७८ एवं जन्मस्थान उत्तरप्रदेश है। महाराष्ट्र राज्य के शहर वाशी की डॉ.मौर्या की शिक्षा एम.ए.,बी.एड.(मुंबई)तथा पी.एच-डी.(छायावादोत्तर काव्य में नारी चित्रण)है। निजी महाविद्यालय में आपका कार्य क्षेत्र बतौर शिक्षक है। आपकी  लेखन विधा-कविता है। विशेष उपलब्धि शिक्षकों के लिए एक प्रकाशन की ओर से आयोजित निबंध प्रतियोगिता में पुरस्कृत होना है। मंजू जी के लेखन का उद्देश्य-चंचल मन में उठने वाले विविध विचारों को लोगों तक पहुँचाकर हिंदी भाषा की सेवा करना है। 

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