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शिरोधार्य हिंदी

विजयसिंह चौहान
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष………………..


भारत माता के,
माथे की बिंदी है
हिंदीl

सुंदर,सरल,
और सहज है,
हिंदीl

कल-कल बहती,
नदी तो कहीं
निर्मल जल-सी,
मधुर धार है
हिंदीl

अनेकता में एकता का,
स्वर और हमारी
सांस्कृतिक धरोहर है,
हिंदीl

रग-रग में दौड़ती,
हर भारतीय की
पहचान है,
हिंदीl

साहित्य के सागर में
पुलकित,
पल्लवित है
हिंदीl

क,ख,ग से,
क्ष,त्र,ज्ञ तक
संपूर्ण ब्रहमांड है,
हिंदीll

परिचय : विजयसिंह चौहान की जन्मतिथि ५ दिसम्बर १९७० और जन्मस्थान इन्दौर(मध्यप्रदेश) हैl वर्तमान में इन्दौर में ही बसे हुए हैंl इसी शहर से आपने वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ विधि और पत्रकारिता विषय की पढ़ाई की,तथा वकालात में कार्यक्षेत्र इन्दौर ही हैl श्री चौहान सामाजिक क्षेत्र में गतिविधियों में सक्रिय हैं,तो स्वतंत्र लेखन,सामाजिक जागरूकता,तथा संस्थाओं-वकालात के माध्यम से सेवा भी करते हैंl लेखन में आपकी विधा-काव्य,व्यंग्य,लघुकथा और लेख हैl आपकी उपलब्धि यही है कि,उच्च न्यायालय(इन्दौर) में अभिभाषक के रूप में सतत कार्य तथा स्वतंत्र पत्रकारिता जारी हैl

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