कुल पृष्ठ दर्शन : 275

हिन्दी है जन-जन की भाषा

राजेश पुरोहित
झालावाड़(राजस्थान)
****************************************************

महात्मा गांधी ने कहा था “हृदय की कोई भाषा नहीं है। हृदय से हृदय बातचीत करता है,और हिंदी ह्रदय की भाषा है।” हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी,ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय को १४ सितम्बर १८४९ को लिया गया था। हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित-प्रचारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा द्वारा अनुरोध किया गया,जिसे स्वीकार किया गया। वर्ष १९५३ से सम्पूर्ण भारत में १४ सितम्बर को प्रतिवर्ष इसीलिए हिन्दी दिवस मनाया जाता है। १९१८ में महात्मा गांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गाँधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।
भारतीय संविधान के भाग १७ के अध्याय ३४३(१) में इस प्रकार लिखा है कि-“संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ कर राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अन्तराष्ट्रीय रूप होगा।” ये निर्णय १४ सितम्बर को हुआ था,इसी कारण इस दिन को हिन्दी दिवस के रूप में हम सभी मनाते हैं।
हिन्दी दिवस के दिन शिक्षालयों में छात्र- छात्राओं को हिन्दी भाषा में बोलने व लिखने की शिक्षा दी जाती है। साहित्यिक संस्थाएं भी हिन्दी के प्रसार हेतु हिन्दी लाओ देश बचाओ जैसे कार्यक्रम आयोजित करती है। विद्यालयों में वाद-विवाद प्रतियोगिता,निबंध प्रतियोगिता, काव्य पाठ आदि होते हैं। साहित्यिक कार्यक्रमों में हिन्दी सेवियों को सम्मानित किया जाता है। हिन्दी की ओर प्रेरित करने हेतु भाषा सम्मान भी दिए जाते हैं।
राजभाषा सप्ताह का आयोजन भी होता है।जिसमें ७ दिन तक हिन्दी भाषा के कार्यक्रम होते हैं। आजकल लोग हिन्दी दिवस के दिन भी अंग्रेजी में ट्वीट करते हैं। कई लोग आम बोलचाल की भाषा में अंग्रेजी शब्द बोलकर दिखावा करते हैं,ऐसे लोग हिन्दी का अपमान कर रहे हैं। हिन्दी भाषा के विकास हेतु अधिक से अधिक हिन्दी में बोलने का प्रचार करने की आवश्यकता है।
हिन्दी को आज तक भी संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बनाया जा सका। हिन्दी का सम्मान अपने ही देश ने कम किया है। आओ मिलकर हिन्दी के विकास की बात करें।
आज हम नौनिहालों को अंग्रेजी माध्यमों के विद्यालयों में पढ़ा रहे हैं। समाज के आयोजनों में ये अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले बच्चे रटी हुई कविताएं बोल देते हैं। समाज तालियाँ बजा देता है,माँ-बापू बड़े खुश होते हैं। इसी लिये अंग्रेजी का प्रचलन बढ़ा है।
हमारी भाषा,हमारी संस्कृति व संस्कारों की पहचान है। हमारे गीता,रामायण,वेद-पुराण जितने भी हिन्दू शास्त्र हैं,सभी हिन्दी में लिखे गए। प्राचीन कवियों-लेखकों ने हिन्दी में लिखा। यदि हम उन्हें भूल कर अंग्रेजी के पीछे चलें तो ये हमारी मूर्खता ही है। आज विश्व के कई देशों के विद्यार्थी इन शास्त्रों को हिन्दी भाषा में पढ़ने हेतु भारत आकर ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं,और हम विपरीत दिशा में भाग रहे हैं। हिन्दी ही ऐसी भाषा है,जो भारतवासियों को एक सूत्र में बांध सकती है।
आज कॉन्वेंट स्कूल व ईसाई मिशनरी शालाओं में अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाया जा रहा है। शहरों व गांवों में अंग्रेजी माध्यमों के विद्यालयों में विद्यार्थी हर वर्ष बढ़ते जा रहे हैं। जो निजी विद्यालय चला रहे हैं,वे बताते हैं कि कोई प्रवेश नहीं आते अब हिन्दी माध्यम में पढ़ने वालों के, इसीलिए अंग्रेजी माध्यम खोल दिया।
जब तक मानसिकता नहीं बदलेगी,हिन्दी के प्रति हमारा सम्मान नहीं जागेगा,तब तक हिन्दी का हाल नहीं सुधरेगा। हिन्दी देश की सबसे बड़ी भाषा है। लोगों को सहसा ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है हिन्दी। हिन्दी सहज रूप में समझ में आ जाती है। यह राष्ट्रीय चेतना की संवाहक है। दुनिया में हिन्दी का प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से १९७५ में नागपुर में विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में विश्व के ३० देशों के १२२ प्रतिनिधियों ने भाग लिया। विदेशों में हिन्दी दिवस के दिन दूतावासों में हिन्दी भाषा के विशेष कार्यक्रम होते हैं। हिन्दी विश्व की १० ताकतवर भाषाओं में से एक है।
आज भी पाकिस्तान,नेपाल,बांग्लादेश, अमेरिका,ब्रिटेन,जर्मनी,न्यूजीलैंड,संयुक्त,अरब अमीरात,युगांडा,गुयाना,अमीरात,सूरीनाम, त्रिनिदाद,मॉरीशस,साउथ अफ्रीका सहित कई देशों में हिंदी बोली जाती है। विश्व आर्थिक मंच ने हिन्दी को संसार की १० ताकतवर भाषाओं में शामिल किया है। विश्व के सैकड़ों विश्वविद्यालयों में आज भी हिन्दी पढ़ाई जा रही है। पूरी दुनिया में करोड़ों लोग हिन्दी बोलते हैं। चीनी भाषा के बाद हिन्दी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। वेब,सिनेमा,संगीत तथा विज्ञापन आदि क्षेत्रों में हिन्दी की माँग बढ़ती जा रही है। विदेशों में कई पत्र-पत्रिकाएं हिंदी में प्रकाशित हो रही है।
आज की हिन्दी-मैथिली,मगही,अवधी,ब्रज, खड़ी बोली,छतीसगढ़ी आदि १७ बोलियों का सामूहिक नाम है। आज कनाडा,जर्मनी, इंडोनेशिया में भी हिन्दीभाषी बढ़ रहे हैं।

Leave a Reply