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श्री गणेश प्रार्थना

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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गणेश चतुर्थी विशेष….

सादर नमन, कोटि नमन, हे प्रथम पूज्य श्री गणेश,
नमन आपको है, हे माता पार्वती, हे श्री पिता महेश।

पावन वसुन्धरा हर्षित हुईं, प्रकट हुए हैं श्री बाल गणेश,
धरा के नर-नारी नमन करते हैं, स्वीकारिए हे श्री गणेश।

सुन्दर फूलों से सज गया है श्री गणेश जी का दरबार।
पूजा करने के लिए उमड़ गई है भीड़, भक्तों की हजार।

मन्दिरों में शुभ दर्शन पाने के लिए, लगी है लम्बी कतार,
भए प्रगट गौरी के लाल, आशीष पाएंगे पूर्ण संसार।

रिद्धि-सिद्धि के स्वामी विघ्नहर्ता, शुभ ज्ञान के हैं दाता,
देवलोक में प्रथम पूज्य कहाए है, आप ही हैं विधाता।

हे श्री गणेश आप तो बाल्यावस्था से ही उत्तम ज्ञानी हैं,
ऋषि-मुनियों का कहना है, श्री गणेश जी अन्तर्यामी हैं।

आपके जन्म होते, धरा-आकाश-देव लोक आनंदित हुए,
पिता श्री महादेव, माता पार्वती बहुत प्रफुल्लित हुए।

हे श्री गणेश विनती है आपसे, घर-घर में विराजे रहिए।
अज्ञान हीन मनुष्यों को, शुभ धर्म का बोध कराते रहिए॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |