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संकल्प लें कि, परिचय-हस्ताक्षर कम से कम हिन्दी में रखेंगे

उज्जैन (मप्र)।

हिन्दी एक प्रवाहित महानदी- सी है, जिसमें अन्य भाषाओं की धाराएँ भी हिन्दी के अपने स्वरूप में समाहित हो जाती हैं। ‘हिन्दी दिवस’ पर हम सब संकल्प लें कि, अपनी पहचान, परिचय व हस्ताक्षर कम से कम हिन्दी में रखेंगे।

यह विचार हिन्दी साहित्य भारती मप्र की प्रदेशाध्यक्ष डॉ. स्नेहलता श्रीवास्तव (इन्दौर) ने ‘हिन्दी दिवस’ के उपलक्ष्य में हिन्दी साहित्य भारती उज्जैन जिला इकाई द्वारा आयोजित तरंग काव्य संगोष्ठी में व्यक्त किए। संगोष्ठी में संस्था के मालव प्रान्त अध्यक्ष जीवन प्रकाश आर्य ने हिन्दी की रचनाओं में अन्य भाषा के प्रयोग से बचने का आग्रह किया। कार्यक्रम में महाकौशल प्रान्त के अध्यक्ष प्रणय श्रीवास्तव की विशेष उपस्थिति रही। डॉ. ललित नागर, राजेश साहू, श्रीमती दीप्ति मिश्रा, डॉ. डाली गिरी गोस्वामी आदि ने भी अपने श्रेष्ठ विचार एवं कविताओं के माध्यम से हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम व सम्मान व्यक्त किया। कार्यक्रम की संकल्पना जिलाध्यक्ष श्रीमती डॉ. चित्रा जैन की रही।संचालन श्रीमती रश्मि बजाज भराड़िया ने किया।