मंडला(मप्र)।
साहित्य की विविध विधाओं पर सिद्धेश्वर का एकल पाठ सुनने के बाद लगता है कि वे एक सधे और मंझे साहित्य सृजक हैं,जिनके पास एक विशिष्ट चिंतन व मौलिकता विद्यमान है। वे संतुलित व प्रभावी लघुकथाकार,कहानीकार हैं।
मुख्य अतिथि और वरिष्ठ गीतकार-कथाकार प्रो.(डॉ.) शरद नारायण खरे ( म.प्र).ने ‘हैलो फेसबुक साहित्य सम्मेलन’ के अंतर्गत कहानीकार-कवि-चित्रकार सिद्धेश्वर जी(पटना)के सृजन पर यह वक्तव्य दिया। राज प्रिया रानी के संयोजन में वरिष्ठ कवि सिद्धेश्वर ने विविध रचनाओं का एकल पाठ और एकल चित्र प्रदर्शनी का प्रदर्शन किया।
‘दूर अंधेरा हुआ रोशनी आ गई!,मौत को मात दे जिंदगी आ गई!’,कैसी दीवार है यह,बँटा परिवार है यह!,राजा है तो क्या ?,पूरा गद्दार है यह!’ कविता के अतिरिक्त ‘कप वाली आइसक्रीम’ कहानी व लघुकथाओं का ऑनलाइन पाठ भी सिद्धेश्वर ने किया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए रशीद गौरी (राजस्थान) ने कहा कि,जीवन में अनेक रंग है। उन रंगों को अभिव्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम चित्रकला है। साहित्य सृजन के क्षेत्र में भी समसामयिक विविध विषयों पर आधारित सिद्धेश्वर की कहानी,कविता और लघुकथाएं अपनी सहजता और जीवंतता के कारण पाठकों को अपनी ओर खींचने में पूर्णतः सक्षम हैं।
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ शायर विज्ञान व्रत (नोएडा) ने सिद्धेश्वर की रचनाओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि,सिद्धेश्वर एक समर्पित गजलकार और कवि हैं। काव्य का सृजन भी करते हैं,तो बड़े मनोयोग से ! खास बात यह है कि वे अपनी कविताओं या ग़ज़लों में आम बोलचाल के शब्दों का इस्तेमाल करते हैं,जिससे रचनाओं की पहुंच पाठकों के बीच बढ़ जाती है। मुख्य वक्ता डॉ. सविता मिश्रा मागधी (बेंगलुरु) ने कहा कि,सिद्धेश्वर की रचनाओं में चलचित्र का अनुभव होता है।
इस कार्यक्रम का आरंभ संयोजिका राज प्रिया रानी ने किया। रचनाकार पूनम( कतरियार), हरिनारायण सिंह हरि (समस्तीपुर) एवं अनिरुद्ध सिन्हा आदि ने भी अपनी बात रखी।
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