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संविधान सदन…एक सम्मान

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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यह एक सम्मान है,
विरासत को आगे बढ़ाकर
देश को गौरवान्वित करने का,
एक खूबसूरत अहसान है।

इतिहास गवाह है,
खूबसूरत व बेहतरीन प्रतीक बनकर
देश और दुनिया के सामने,
आज़ भी यह भवन
गौरवान्वित महसूस कराता है,
निर्माण और निर्देशन में
सबसे प्रखर पहचान
बनाने वाली ताकतों में,
ख़ुद को ख़ुद से रुबरु कराता है।

यह जन्नत स्वरूप में सजी हुआ,
हम सब भारतीयों को
इसकी अहमियत से,
एक बड़ा-सा उपकार मिला
सद्भाव और संस्कार को,
सबसे प्रखर पहचान मिली।

नजदीकियाँ सामने खड़ी रहीं,
अपनत्व विवेक और विश्वास की धारा बढ़ती रही
इसने परिवर्तन लाकर,
खूबसूरत पहचान बनाई
दुनियाभर में जागृत लोकतंत्र को,
उन्नत प्रयास कर संसार में नाम कमाया।

विरासत को शत-शत नमन,
करते इसका सदा सम्मान
हृदय तल से अभिभूत होकर,
हम सब करते हैं अभिनन्दन।

यह विरासत बनेगी एक सीख,
दुनिया में सबसे आगे रहेगी।
प्रजातंत्र को यहाँ सम्मान मिलता रहेगा,
इसकी अलख जलती रहेगी॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।