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सत्संग-महिमा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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संतों का हो संग, तो जीवन महके सदा।
हर पल बिखरें रंग, हो दुर्गुण की नित विदा॥

संत सजाते ज्ञान, देते हैं नवचेतना।
देते सद् को मान, करते मंगल कामना॥

करो रोज़ सत्संग, तो अंतर पावन रहे।
हो बद् नित बदरंग, निर्मल जल नित ही बहे॥

मिले साधु का साथ, तो मन की बगिया खिले।
सिर पर हो सद् हाथ, तो सब कुछ अच्छा मिले॥

उपदेशों की बात, जीवन को नव सार दे।
संतों की सौगात, हमको जग से तार दे॥

मानुस का अरमान, संत सदा पूरे करे।
जीवन के अवसान, संतों की वाणी हरे॥

सुनो सदा उपदेश, मिले तेज नव आपको।
हटें सभी ही क्लेश, कर लो भाई जाप को॥

संतों की जयकार, करते सबका जो भला।
वहाँ चहकता सार, जहाँ ज्ञान नित ही पला॥

संतों के संदेश, करते हैं सब कुछ मधुर।
देते नव आदेश, मिलें सुमंगल नेह सुर॥

महिमामय सत्संग, सुख की बिखरे चाँदनी।
करो बुरे से जंग, अंतर्मन हो रोशनी॥

गरिमामय सत्संग, बिखरे आभा ज्ञान की।
पलती सदा उमंग, राहें हों उत्थान की॥

रामायण का पाठ, संतों के मुख से सुनो।
जीवन का हो ठाठ, संत-संग अब तुम चुनो॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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