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सबसे पहले हिन्दुस्तान

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….

समस्या है आतंकवाद की
नक्सल,घुसपैठ,सीमा विवाद का,
हिंदी-हिन्दू-हिन्दुस्तान के लिए
चुनौती है नौजवान के लिएl
हमेशा सतर्क सावधान रहना है
सीमा पे सीना तान रहना है,
मुझे मुल्क़ पे अभिमान है
दिल में सिर्फ हिन्दुस्तान हैl
ग़ैर मुल्क से कोई प्रहार न आने देंगे
उग्रवादियों का अत्याचार न आने देंगे,
है बाजूओं में इतनी ताकत
शत्रु को सीमा इस पार न आने देंगेl
विचलित नहीं होंगे कभी
हो आँधी चाहे तूफान,
सबसे पहले हिन्दुस्तान-सबसे पहले हिन्दुस्तान।

यह राणा-शिवा की धरती है
जिससे दुनिया सारी डरती है,
यहाँ वीर पोरस,चौहान है
चन्द्रगुप्त अशोक-से बलवान हुए़ हैंl
मंगल-तात्या-टीपू सुल्तान है
यहाँ नारियाँ भी होती है बलशाली,
मिट गयी रण में झाँसी वाली रानी
मुझ सिंहों से टक्कर लेना
बस तुम्हारी जिद्द हैl
अब यहाँ एक नहीं
हजारों वीर अब्दुल हमीद है,
भड़काना बंद करो
बार-बार ये चिंगारी,
बंद करो छुप-छुप के करना बमबारीl
तुम्हें पैंसठ और इकहत्तर में
हमने बुरी तरह हराया था,
समर हुई थी कारगिल की
उसमें भी धूल चटाई थीl
सोचों मत कि
सोमनाथ हम फिर से लुटा देंगे,
अबकी समर हुआ तो
तुम्हारा पूरा मुल्क मिटा देंगे।
रे भेड़िये! मेरी ताकत तो पहचान,
सबसे पहले हिन्दुस्तान-सबसे पहले हिन्दुस्तानll

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१८ में परास्नातक पूर्ण करने के बाद पद्मश्री पं.बलवंत राय भट्ट भावरंग स्वर्ण पदक से नवाजे गए हैं। फिलहल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) सहित एम.ए. तक शिक्षित (हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता,लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं। दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।

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