कुल पृष्ठ दर्शन : 1312

सबसे प्यारा देश हमारा

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली
देहरादून( उत्तराखंड)
*******************************************************

सबसे प्यारा देश हमारा,
हम सबका अभिमान है।
सबसे न्यारा देश हमारा,
हम सबकी ये शान है।

शत-शत नमन तुम्हें,
हे देश तेरी जय हो,जय-जय हो।

तेरी माटी में पैदा होकर,
हम तो धन्य हुए हैं।
कितने पुण्य किये होंगे,
तब जन्म यहां पे लिए हैं।

शत-शत नमन तुम्हें,
हे देश तेरी जय हो,जय-जय हो।

तेरी रक्षा में यहां पर,
कितने ही कुर्बान हुए।
राणा,शिवा,झाँसी की रानी,
ये सब यहां महान हुए।

शत-शत नमन तुम्हें,
हे देश तेरी जय हो,जय-जय हो।

हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई,
सभी डटे रक्षा में तेरी।
इनकी रक्षा तुम करो प्रभु,
सुन लो छोटी-सी अरज मेरी।

शत-शत नमन तुम्हें,
हे देश तेरी जय हो,जय-जय हो।

देश हमारा प्राणों से प्यारा,
ये सबकी पहचान है।
हर रंग के यहां फूल खिले हैं,
ये महका उद्यान है।

शत-शत नमन तुम्हें,
हे देश तेरी जय हो,जय-जय होll

परिचय: सुलोचना परमार का साहित्यिक उपनाम उत्तरांचली’ है,जिनका जन्म १२ दिसम्बर १९४६ में श्रीनगर गढ़वाल में हुआ है। आप सेवानिवृत प्रधानाचार्या हैं। उत्तराखंड राज्य के देहरादून की निवासी श्रीमती परमार की शिक्षा स्नातकोत्तर है।आपकी लेखन विधा कविता,गीत,कहानि और ग़ज़ल है। हिंदी से प्रेम रखने वाली `उत्तरांचली` गढ़वाली में भी सक्रिय लेखन करती हैं। आपकी उपलब्धि में वर्ष २००६ में शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय सम्मान,राज्य स्तर पर सांस्कृतिक सम्मानमहिमा साहित्य रत्न-२०१६ सहित साहित्य भूषण सम्मान तथा विभिन्न श्रवण कैसेट्स में गीत संग्रहित होना है। आपकी रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविता,गीत,ग़ज़लकहानी व साक्षात्कार के रुप में प्रकाशित हुई हैं तो चैनल व आकाशवाणी से भी काव्य पाठ,वार्ता व साक्षात्कार प्रसारित हुए हैं। हिंदी एवं गढ़वाली में आपके ६ काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। साथ ही कवि सम्मेलनों में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर शामिल होती रहती हैं। आपका कार्यक्षेत्र अब लेखन व सामाजिक सहभागिता हैl साथ ही सामाजिक गतिविधि में सेवी और साहित्यिक संस्थाओं के साथ जुड़कर कार्यरत हैं।श्रीमती परमार की रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आती रहती हैंl

Leave a Reply