सुकमोती चौहान ‘रुचि’
महासमुन्द (छत्तीसगढ़)
**********************************************************************************
अलौकिक ज्योति से,
कारागृह जगमगाने लगा,
दिव्य पुष्पों की सुगंध,
चारों ओर महकाने लगा।
जन्म लिए श्रीकृष्ण,दूर होने लगी बाधाएं,
देवकी-वासुदेव को हार्दिक शुभकामनाएं।
लाल को लेकर वासुदेव चले,
जमुना जी चरन पखारे।
गोकुल में छाई खुशियाँ,
कृष्ण,यशोदा घर पधारे।
मंगल बधाइयाँ गाते,देने लगे सब दुआएं।
यशोदा नंदबाबा को हार्दिक शुभकामनाएं।
बलदाऊ संग कृष्ण चले,
निहारे बेसुध सारी नगरिया।
ग्वाल-बाल संग खेलत कान्हा,
कंकर मार फोड़े गगरिया।
मनमोहना मोहन करते,मनमोहक लीलाएं।
सारे ब्रजधाम को हार्दिक शुभकामनाएं।
हाथों में लिए मुरली,
दुष्टों का करते संहार।
दुखियों का दु:ख हर,
भक्तों का करते उद्धार।
तारनहार की राह तकते,झेले अनंत पीड़ाएं।
उन सभी प्राणियों को हार्दिक शुभकामनाएंll
परिचय-श्रीमती सुकमोती चौहान का साहित्यिक नाम ‘रुचि’ है। जन्मतारीख-५ नवम्बर १९८२ एवं जन्म स्थान-भौरादादर है। वर्तमान में आपका बसेरा छत्तीसगढ़ स्थित ग्राम बिछिया(तहसील-बसना,जिला-महासमुन्द)है। यही स्थाई पता भी है। हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती चौहान ने स्नातकोत्तर (हिन्दी,संस्कृत )की शिक्षा ली है। आपका कार्यक्षेत्र- अध्यापन(शिक्षक)का है। सामाजिक गतिविधि में सामाजिक कार्यों में सहयोग करती हैं। लेखन विधा-कविता,दोहा,मनहरण, गीत,कुण्डलिया,लघुकथा और कहानी है।
कई पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हो रही हैं। प्राप्त सम्मान-दोहा रत्न,साहित्य सृजक,गीतांजली रत्न(उत्तर प्रदेश)मिले हैं। ‘रुचि’ की लेखनी का उद्देश्य-समाज की व्यथा को उजागर करना तथा समाज में चेतना का संचार करना है। आपके हिन्दी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी हमारी मातृभाषा है। यही हमारी आन-शान-पहचान है,इसके बिना हम गूँगे-बहरे समान हैं।”