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समाज और गुलामी

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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मानवता का पाठ पढ़कर,
मानव धर्म निभाएंगे
एक सभ्य समाज का,
निर्माण हम सब करके
लोगों के दिलों में स्नेह,
प्यार को जिंदा रखेंगे
और इंसानों को इंसानियत,
हम सब सिखा देंगे।

बिखरा हुआ संगठन कभी भी,
समाज को मजबूती नहीं दे सकता
लाखों लोग होते हुए भी इन पर,
हुकूमत कोई और करता है।
और अपनी खुद की कमी का,
एहसास खुद को नहीं होता है
बस खुद ही गुलामी को,
अपने-आप स्वीकार करता है।

लोग चन्द होकर भी श्रेष्ठ होते हैं,
जो बुद्धि के बल पर राज करते हैं
बड़ा समाज व अधिकारी होकर भी,
उन चतुर चालाक लोगों के अधीन है
क्योंकि हम अपने भाईयों को,
उच्च स्थान नहीं दे सकते हैं।
इसलिए कारण चंद लोगों की,
गुलामी स्वीकार कर लेते हैं॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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