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‘समान नागरिक कानून’ शुभ संदेश

संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
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‘एक कानून, एक देश’, ऐसा बनेगा भारत देश,
बंटवारे में चाहिए था, उनको अपना अलग से देश
सत्य सनातन देश में दर्जा उन्हें विशेष,
इच्छा पूरी कर दिए जगत गुरु महेश।

हजारों वर्ष से पढ़ रहे मानवता का संदेश,
भगवान बुद्ध ने भी अहिंसा- मानवता का दिया उपदेश
अल्पसंख्यक आड़ में पकड़ा रावण भेष,
दंगा-फसाद, बलात्कार, उग्रवाद में झोंका पूरा देश।

रोके उनकी मंशा कौन, जब सरकार ने माना अति विशेष,
इस विशेष के कारण ही फैला है आपस में विद्वेष
खैरात, हज, मदरसे को बांट रहे सरकारी अनुदेश,
अर्थ का अनर्थ न लें, भारत सबका देश।

अपनी माटी, अपना देश, जगाओ प्रेम स्वदेश,
‘सभी बराबर हैं आपस में’ यही गीता का उपदेश
राष्ट्रग्रंथ ‘गीता’ में निहित है श्री कृष्ण संदेश,
राम राज्य को बढ़ चला अपना भारत देश।

लोकतंत्र मन्दिर (संसद) से जारी हो अब ‘समान नागरिक संहिता’ शेष,
संविधान भी कहता है सबको प्रिय यह देश
प्राचीन काल के आर्यावर्त का जीवित हो अवशेष,
सभी बराबर में अच्छे हैं, ध्वस्त हो दर्जा विशेष।

हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई से मिलकर है सुंदर भारत देश,
न हो किसी में तैश, यहाँ न हो कोई विशेष
भारत की मिट्टी में घुला है सदियों से प्रेम स्वदेश,
साथ मिलकर सभी चलें, अब मन से मिटाएं द्वैष।

जाति-धर्म का भेद मिटाएं, चलें शरण राम के देश,
गौरवशाली मेरे इतिहास से स्वर्णिम हो भारत देश।
टुकड़े-टुकड़े बँटकर, व्यथित है मेरा देश,
संसद लेकर आ रही ‘समान नागरिक कानून’, है यह शुभ संदेश॥

परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएससी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता, रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुंबई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़ें हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में आपको
महात्मा बुद्ध सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२० २३ सहित अन्य सम्मान हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले संजय सिंह ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज- पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”