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सुख का समन्दर

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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दुनिया की रीत है,
मीठा-सा संगीत है
माँ-बाप की अहमियत,
अद्भुत व अलौकिक श्रंगार है
सबसे सुन्दर है रूप-रंग में,
पृथ्वी पर ईश्वरीय उपहार है।

खूबसूरती का एक उन्नत व,
अपूर्व व बेहतरीन प्रतीक है
सूर्य की किरणें जहां तक पड़ती है,
सुखद संसार का दुनिया में,
बन जाता प्रेम जहां में संदीप है।

अहसास बनकर निकलती है,
यह सुकून का प्रकाश देता है
जहां माँ-बाप का सम्मान हो,
वहीं सुख निवास करने का
सदैव मन उत्साहित रहता है।

माँ-बाप को समुन्दर लोग कहते हैं,
गहराई से उनकी कृतियों की
वहीं लोग अहमियत समझते हैं,
हमें हमेशा अपनी ज़िन्दगी में
इस खूबसूरत शोभा को,
हृदय तल से सम्मान करें।
दुनिया में सबसे बड़ी संस्कार की सीढ़ी पर,
हर वक्त अभिमान करें॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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