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शरणागत हुए इंद्र

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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ब्रम्हांड उठाने वाले ने,
गोवर्धन धर कर स्वांग रचा…
माखन लालच उनको देती
गोकुल की ग्वालिन नाच नचा…।

क्या यही विधाता है जग का,
दुविधा देखते इंद्र खड़ा…
अब जाँच-परीक्षा लेना है,
इस बात पर है इंद्र अड़ा…।

घनघोर वर्षा होने लगी,
धरती पानी ना सकी पचा…
डूबे घर वन धन गाँव सभी,
गोकुल में हाहा-कार मचा…।

तब श्याम ने छोटी उँगली,
गिरि धारण गोकुल लिया बचा…
हरि होने का प्रमाण मिला,
इंद्र ने की स्तुति चरचा…।

नाम कहाए गिरिधर तब से,
गिरि गोवर्धन को मान मिला…।
शरणागत हुए इंद्र तभी,
गोकुलवासी मन फूल खिला…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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