डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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यह नवजागरण का,
उत्तम उपदेश है
हम भी पढ़ेंगे,
आ रहा जन-जन की आँखों से
स्पष्ट सन्देश-उपदेश है।
बेटियाँ पुकार रही है,
पढ़ने की बात कह रहीं हैं
उफ़ान बड़े जोर से है,
उत्तम सोच से भरी हुई है
घर-आँगन में सोहबत पाकर,
शिक्षा की रहमत से
सराबोर और तंदुरुस्त होकर,
आज़ खुलकर बोल रहीं हैं
बन्धन से मुक्त हो,
आसमान में उड़ रही है।
पढ़ने की है अब कर रहीं हिमायत,
हर वक्त में बदल रही है हालत
यह एक नवीन सन्देश है,
सम्पूर्ण सद्भाव और संस्कार का
अद्भुत समावेश है।
बच्चियों को हम पढ़ाएं खूब,
आत्मनिर्भर बनाएं खूब
यही नवजागरण है,
बच्चियाँ बन रही एक उदाहरण है।
इस संकल्प को पूरा करें,
मिल-जुलकर हम साथ बढ़ें॥
परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।